Haldwani News : पत्थर और सिल्ट से पटा कलसिया नाला इस बार दो सौ घरों के लिए बनेगा मुसीबत
Haldwani News काठगोदाम का कलसिया नाला इस बार 200 घरों के लिए मुसीबत बनेगा। सिल्ट और पत्थर से पटे नाले की साफाई न होने के कारण इस बार अगर बारिश तेज हु ...और पढ़ें

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : समय से पहले बारिश का दौर शुरू हो गया। आगे मानसून सीजन संग खतरे की घंटी भी बजेगी। उन जगहों पर संकट के बादल ज्यादा मंडराएंगे। जहां आसपास बरसाती नाले हैं। काठगोदाम का कलसिया नाला भी इसी श्रेणी में आता है। इस नाले की जद में करीब 200 घर आते हैं। आरबीएम से लेकर पत्थर से नाला पट चुका है।
बारिश तेज हुई तो हर साल की तरह पानी का बहाव बिगड़ेगा। कटाव सीधा घरों की बुनियाद पर होगा। समस्या का समाधान मलबे का निस्तारण है। लेकिन उपखनिज का नाम आते ही निगम बेबस हो गया। पिछले साल डीएम से अनुमति मिलने पर संयुक्त सर्वे हुआ था। ताकि खतरे को दूर किया जाए। लेकिन इस बारिश में भी सुरक्षा रिपोर्ट नाले के मलबे से बाहर नहीं निकली। अब आप समझ सकते हैं कि आपदा को लेकर सिस्टम कितना तैयार है?
काठगोदाम चौकी से ठीक पहले कलसिया नाला आबादी के बीच से होकर गुजरता है। यह इलाका नगर निगम क्षेत्र में आता है। नाले के दोनों किनारों पर सालों पुराने मकान बने हैं। लगातार और तेज बारिश होने की स्थिति में यहां खतरे के हालात पैदा हो चुके हैं। कई बार बरसात में लोगों को यहां से सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करने की नौबत तक आ चुकी है। नाले की सफाई में दिक्कत यह है कि यहां गंदगी नहीं बल्कि पहाड़ से बहकर आया उपखनिज जमा है।
उपखनिज जमा हाेने के कारण नाले में पानी का बहाव बिगड़ जाता है। उपखनिज होने के कारण नगर निगम सीधा हाथ नहीं डाल सकता। इसलिए पिछले साल तत्कालीन नगर आयुक्त सीएस मर्तोलिया ने डीएम को पत्र भेज संयुक्त सर्वे की मांग की थी। जिसके बाद नगर निगम, प्रशासन, खान विभाग और वन विभाग की टीम ने संयुक्त सर्वे भी किया। ताकि मलबे को नियमानुसार निस्तारित कर हर बरसात में आबादी पर मंडराने वाले खतरे को हटाया जा सके। लेकिन अब भी इस रिपोर्ट को कुछ पता नहीं। एसडीएम मनीष कुमार सिंह ने बताया कि कलसिया नाले में सफाई के लिए पिछले साल संयुक्त सर्वे हुआ था। अभी तक इसकी डिटेल रिपोर्ट नहीं मिल सकी।
तीन रेंजर का जवाब, हमारा इलाका नहीं
कलसिया नाले की सफाई को लेकर जिम्मेदार वन विभाग के नियमों का हवाला भी देते हैं। मामले को लेकर फतेहपुर रेंजर केएल आर्य, मनोरा रेंजर बीएस मेहता और हल्द्वानी रेंजर यूसी आर्य से पूछा गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि नाला तो उनकी रेंज में आता ही नहीं।
रकसिया में सिर्फ नीचे की सफाई
फतेहपुर रेंज से निकलने वाला रकसिया नाला हर साल सबसे ज्यादा नुकसान करता है। दमुवाढूंगा से लेकर छड़ायल तक की आबादी को इससे दिक्कत आती है। ऐसा नहीं है कि जानलेवा नाले की सफाई नहीं की जाती। मगर यह काम दमुवाढूंगा से नीचे के क्षेत्र में होता है। जबकि नाला ऊपर से मलबा लेकर आता है। लेकिन यह क्षेत्र वनभूमि का हिस्सा होने के कारण यह मशीन नहीं चल सकती।

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