Kainchi Dham Mela 2025: तैयारियां शुरू, 15 जून को उमड़ेगी भीड़; जाम से बचने को बनाया फुलप्रूफ प्लान
हल्द्वानी में 15 जून को कैंची मंदिर के स्थापना दिवस पर भारी भीड़ की संभावना है। जाम से बचने के लिए शटल सेवाएं चलाई जाएंगी। नीम करोली बाबा के भक्त इस दिन दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि बाबा हर मुराद पूरी करते हैं। नीम करोली बाबा 20वीं सदी के महान संतों में से थे और बजरंगबली के भक्त थे।

जासं, हल्द्वानी। Kainchi Dham Mela 2025: 15 जून को कैंची मंदिर के स्थापना दिवस पर उत्तराखंड समेत पूरे देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। संभावना है कि तीन-चार दिन पहले से भीड़ उमड़ना शुरू हो जाएगी। पिछली बार भी ऐसा हुआ था। ऐसे में हल्द्वानी से भीमताल और भवाली मार्ग पर जाम की स्थिति पैदा हो सकती है।
जाम से बचने के लिए रोडवेज और केमू की बसों को शटल सेवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। ताकि सड़क पर छोटे वाहनों की संख्या न बढ़े। बुधवार को आरटीओ प्रवर्तन डा. गुरदेव सिंह ने कार्यालय में रोडवेज अधिकारी, केमू प्रबंधन और टैक्सी यूनियन संग बैठक कर इस संबंध भी वार्ता भी की।
कैंची धाम मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक साल यहां 15 जून को मेला लगता है। इस मेले में अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं और नीम करोली बाबा के दर्शन करते हैं। इस दिन यहां पर बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी हर मुराद नीब करौरी पूरी करते हैं।
नीम करोली बाबा 20वीं सदी के महान संतों में शामिल हैं और अपनी दिव्य शक्तियों के कारण लोकप्रिय हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में वर्ष 1900 के करीब हुआ था। वह बजरंगबली के भक्त थे। नीम करोली बाबा का शुरुआती नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। वह धनी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। मान्यताओं के अनुसार, नीम करोली बाबा को कलयुग में हनुमान जी का अवतार बताया गया है। उनको लक्ष्मण दास, नीम करोली बाबा, तिकोनिया वाले बाबा और तलईया बाबा जैसे नामों से जाना जाता था।
नीम करोली बाबा के माता-पिता ने उनकी शादी 11 वर्ष की उम्र में कर दी थी। लेकिन उन्होंने साधु बनने की वजह से घर त्याग दिया था। उनके पिता बाबा के इस फैसले के खिलाफ थे। इसके बाद उन्होंने भक्ति में डूबकर भी अपना गृहस्थ जीवन जीना शुरू किया।
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