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क्‍यों किया था एनडी की दाढ़ी बनाने से इन्‍कार, जानिए कुछ और रोचक बातें

एनडी तिवारी के जीवन की कुछ रोचक घटनाओं को अपनी पुस्तक नारायण दत्त तिवारी अभिनंदन में पूर्व सांसद स्व. सत्येंद्र चंद्र गुडिय़ा दर्ज किया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 08:58 PM (IST)
क्‍यों किया था एनडी की दाढ़ी बनाने से इन्‍कार, जानिए  कुछ और रोचक बातें
क्‍यों किया था एनडी की दाढ़ी बनाने से इन्‍कार, जानिए कुछ और रोचक बातें

विनोद पपनै, रामनगर : पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के निधन के बाद उनकी यादें युवा पीढ़ी के लिए इतिहास बन गई हैं। उनके राजनीतिक जीवन का अपना लंबा इतिहास रहा है, लेकिन उनके जीवन की कुछ रोचक घटनाओं को अपनी पुस्तक 'नारायण दत्त तिवारी अभिनंदनÓ में पूर्व सांसद स्व. सत्येंद्र चंद्र गुडिय़ा एवं रामनगर एमपी इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य स्व. इंद्र वर्मा चौहान ने दर्ज किया है। वह घटनाएं तिवारी की सादगी को खुद बयां करती नजर आती हैं।

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जब सैलून में दाढ़ी बनाने से किया मना
1974 में तिवारी लखनऊ विधान भवन से शाम सात बजे केंद्रीय मंत्री केसी पंत से मिलने राजभवन गए। वापसी में उन्होंने दाढ़ी बनाने की इच्छा रखते हुए सैलून पर अपनी कार रोकी और उसकी दुकान पर चले गए, लेकिन हेयर कटर ने यह कहकर दाढ़ी बनाने से इन्कार कर दिया कि साहब रात के आठ बज गए है मैं आपकी दाढ़ी नहीं बना सकता। मेरा चालान कट जाएगा। इस पर तिवारी मुस्कुराते हुए वापस लौट गए।

चोट मुझे नहीं कार को लगी है
1972 में एनडी तिवारी कार से एक सभा के लिए आजमगढ़ जा रहे थे। अचानक उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उन्हें भी चोट आई, लेकिन वह मरहम पट्टी करने के बाद जन सभा में पहुंच गए तो लोगों ने उनकी चोट के बारे में पूछा। तब उन्होंने जवाब दिया, बहनो-भाईयो चोट मुझे नहीं, मेरी कार को लगी है। मैं तो आपके सामने खड़ा हूं।

पैसे उधार रहे
पांच सितंबर 1984 को अल्मोड़ा जनपद के सल्ट में शहीद दिवस पर जब उनकी वॉस्कट में पचास पैसे का शिक्षक दिवस का बिल्ला लगाया गया, तब उन्होंने जेब में हाथ डाला तो जेब खाली थी। इस पर एनडी कुछ देर के लिए चुप रहे, मुस्कुराते रहे और उन्होंने कहा कि यह पैसे उधार रहे।

रामनगर में रेल लेकर ही आऊंगा
1987 में रामनगर में बड़ी रेल लाइन को लेकर आंदोलन चरम पर था। उस समय तिवारी केंद्र सरकार में उद्योग मंत्री थे। लोग उनसे मिलने जब दिल्ली गए तो उन्होंने कहा कि वह रामनगर बड़ी रेल लाइन लेकर ही आएंगे। 3 जून 1988 को वह रामनगर में बड़ी रेल लाइन का शुभारंभ करने तत्कालीन रेल राज्य मंत्री माधव राव सिंधिया के साथ रामनगर पहुंचे थे।

शोर मत करो, मैं सभा के बाद मिलता हूं
एनडी तिवारी जब रामनगर से उपचुनाव लड़े तो जन सभा के दौरान एक व्यक्ति शोर करने लगा। पुलिस जब उसे सभा स्थल से ले जाने लगी तो तिवारी ने ऐसा करने मना कर दिया और मंच से ही बोल उठे इंद्रलाल तुम सल्ट से आए हो, मैंने तुम्हें बीस साल बाद देखा है। शोर मत करो, मैं तुमसे सभा के बाद मिलता हूं।

राजनीति में न होते तो होते पत्रकार
स्व. ओमप्रकाश आर्य ने चौहान की पुस्तक में लिखा है कि तिवारी अगर राजनीति में न होते तो एक शीर्ष पत्रकार, लेखक, कवि, अर्थशास्त्री, अभिनेता, गायक होते। 44-45 में क्लिष्टï विषय के जीवनवृतों व राजनीतिक विषय पर उनके लेख देवदूत साप्ताहिक में प्रकाशित होने लगे थे। लीडर और नेशनल हेराल्ड में भी उनके लेख छपते रहे।

बाल्यावस्था से थी देश प्रेम की भावना
एनडी तिवारी बचपन से ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित थे। 7 मार्च 1944 को जब वह बरेली सेंट्रल जेल से रिहा हुए तो जेलर ने उनसे कहा कि अपना वह गाना तो सुनाते जाओ। तो तिवारी ने गाया....

बाग में सरका झोंका, आशियाना ले गया।
अदलीबी को कफस, में आबदाना ले गया।
क्यों घटा न एकबारगी, छाए न अहले हिंद पर।
लूटकर यूं माल -ओ -खजाना ले गया।
बुलबुले गुलचीं का शिकवा,भारत न कर।
तुझको पिंजड़े में पकड़कर तेरा,चहचहाना ले गया।
कौन कहता है जबरदस्ती हम पकड़े गए, हम को हमारा शौके जेलखाना ले गया...।


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