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    Haldwani Medical Collage : स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में पीजी की चार सीटें बढ़ाने के लिए एनएमसी का निरीक्षण

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 08 Sep 2021 02:02 PM (IST)

    Haldwani Medical Collage राजकीय मेडिकल कॉलेज में पीजी की सीटें बढ़ाने के लिए कवायद जारी है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में चार सीटें और बढ़ाने के लिए बुधवार को निरीक्षण चल रहा है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन में खलबली मची हुई है।

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    Haldwani Medical Collage : स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में पीजी की चार सीटें बढ़ाने के लिए एनएमसी का निरीक्षण

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Haldwani Medical Collage : राजकीय मेडिकल कॉलेज में पीजी की सीटें बढ़ाने के लिए कवायद जारी है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में चार सीटें और बढ़ाने के लिए बुधवार को निरीक्षण चल रहा है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन में खलबली मची हुई है।

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    राजकीय मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में वर्तमान में पीजी की चार सीटें हैं। इस विभाग में चार सीटें और बढ़ाने के लिए कॉलेज प्रशासन ने जुलाई, 2020 में आवेदन किया था। इसी के चलते नेशनल मेडिकल कमीशन नई दिल्ली की सदस्य अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की प्रो. सीमा राशिद पहुंची हैं। वह विभागाध्यक्ष भी हैं। अस्पताल में संकाय सदस्यों से लेकर, ओपीडी, भर्ती मरीजों से लेकर अन्य डाक्यूमेंट खंगालने में जुटी हैं।

    फिर भी पांच पद हैं कम

    स्त्री रोग विभाग में एनएमसी के मानक के अनुसार पांच पद कम हैं। वर्तमान में एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर व दो असिस्टेंट प्रोफेसर व एक सीनियर रेजिडेंट कार्यरत हैं। जबकि एक एसोसिएट प्रोफेसर, ती असिस्टेंट प्रोफेसर और एक सीनियर रेजिडेंट की कमी है।

    वर्तमान में 65 सीटों में चल रहा है पीजी

    राजकीय मेडिकल कॉलेज में इस समय अलग-अलग विभागों में 65 सीटों में पीजी चल रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने सर्जरी विभाग में नौ और नाक, कान व गला रोग विभाग में तीन सीटों की अनुमति रोकी है। इसके लिए फिर से रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कॉलेज प्रशासन तैयारियों में जुटा है। प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में पीजी की सीटें बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कि ए जा रहे हैं। इस समय स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में चार सीटों के लिए निरीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा डाक्टरों की कमी को दूर करने का प्रयास जारी है।