Jim Corbett National Park Foundation Day : 85 साल का हुआ कॉर्बेट नेशनल पार्क, यहाँ जानें इस पार्क से जुड़ी रोचक जानकारी
Jim Corbett National Park Foundation Day भारत का पहला नेशनल पार्क जिम कॉर्बेट आज 85 साल का हो गया। आठ अगस्त 1936 को यह पहली बार हेली नेशनल पार्क नाम से अस्तित्व में आया। उसके बाद इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क किय गया।

त्रिलोक रावत, रामनगर। Jim Corbett National Park Foundation Day : वन्यजीव संरक्षण और जैवविविधता के लिहाज से दुनिया भर में मशहूर जिम कार्बेट नेशनल पार्क आज यानी रविवार को 85 साल पूरे कर रहा है। यहां देश और दुनियाभर से हर साल बड़ी तादात में पर्यटक जंगल सफारी करने पहुंचते हैं। पिछले कुछ वर्षों यहां बाघों की संख्या भी काफी बढ़ी है। उत्तराखंड का यह पर्यटन स्थल प्रदेश के राजस्व का बड़ा जरिया भी है। चलिए इस पार्क से जुड़ी आपको कुछ जरूरी और रोचक बातें बताते हैं।
भले ही वन्यजीव एवं वनों के संरक्षण के लिए कार्बेट पार्क ने स्थापना के 85 साल पूरे कर लिए हों लेकिन हकीकत यह है कि इस क्षेत्र के जंगल की सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग ने 153 साल पहले ही संभाल लिया था। 1858 तक इस वन क्षेत्र में भी अंग्रेजों का आधिपत्य रहा। दोहन बढ़ता गया तो 1858 में इसको बचाने की कवायद शुरू हुई। 1868 में पहली बार इस क्षेत्र के संरक्षण का जिम्मा वन विभाग को सौंप दिया गया। यह इलाका 1879 में आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया।
1934 में तत्कालीन गर्वनर सर विलियम हेली ने इस क्षेत्र को वन्य जीवों के लिए संरक्षित किए जाने की वकालत की थी। जिम एडवर्ड कार्बेट को इसकी सीमाओं का निर्धारण कि ए जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। आठ अगस्त 1936 को हेली नेशनल पार्क नाम से यह भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अस्तित्व में आया। उसके बाद से धीरे-धीरे यह क्षेत्र रामनगर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनता गया। आज हजारों पर्यटन कारोबारियों व दुकानदारों की आजीविका कार्बेट के पर्यटन पर टिकी है।
तीन बार बदला गया नाम
तीन बार कार्बेट नेशनल पार्क का नामकरण हुआ। पार्क वार्डन आरके तिवारी ने बताते हैं वर्ष 1936 में इसका नाम हेली नेशनल पार्क था। इसके बाद इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क रखा गया। तीसरी बार 1955 में फिर नाम बदलकर कार्बेट नेशनल पार्क रख दिया गया।
धीरे धीरे हुआ सीमा विस्तार
सबसे पहले कार्बेट पार्क का क्षेत्रफल 323.75 वर्ग किमी था। 1966 में इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर 520.82 वर्ग किमी किया गया। कार्बेट के 520.82 वर्ग किमी क्षेत्र में ही पर्यटन होता है।
वन्यजीवों की है बहुतायत
कार्बेट टाइगर रिजर्व में इस समय 250 बाघ, 1226 हाथी, 145 मगरमच्छ, 75 घडिय़ाल, 133 ऊदबिलाव और करीब 35 हजार हिरन के अलावा भालू, सांभर, गुलदार आदि वन्य जीवों के अलावा सरीसृप तथा छह सौ से अधिक प्रजातियों के पक्षी भी मौजूद हैं।
कौन थे जिम कार्बेट
जेम्स ए. जिम कार्बेट आयरिश मूल के भारतीय लेखक, पर्यावरणविद, फोटोग्राफर और शिकारी थे। उन्होंने मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया व संरक्षित वनों और वन्यजीवों को बचाने का प्रयास भी। उन्होंने नैनीताल के पास कालाढूंगी में आवास बनाया था। जिम ने उत्तराखण्ड में अनेक आदमखोर बाघों को मार कर ग्रामीणों को उनके दहशत से मुक्ति दिलाई थी। जिनमें रुद्रप्रयाग का आदमखोर और चम्पावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन भी शामिल है।
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