अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने पूरे अल्मोड़ा से वसूला था छह हजार जुर्माना
independence day 2022 नौ अगस्त 1942 को अल्मोड़ा नैनीताल गढ़वाल तथा देहरादून जिलों में जुलूस निकलने के बाद 10 अगस्त सोमवार को अल्मोड़ा जिले में सरकार के विरोध में आम हड़ताल हो गई। जिसके बाद तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने पूरे अल्मोड़ा शहर पर छह हजार का जुर्माना लगा दिया था।
प्रमोद पांडे, हल्द्वानी : बंबई के आजाद मैदान में गांधी जी के करो या मरो नारा देने के बाद देशभर में 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' की जो आंधी चली, अल्मोड़ा जिले में लंबे समय तक उसके झंझावात ने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया।
नौ अगस्त 1942 को अल्मोड़ा, नैनीताल, गढ़वाल तथा देहरादून जिलों में जगह-जगह जुलूस निकलने के बाद 10 अगस्त, सोमवार को अल्मोड़ा जिले में सरकार के विरोध में आम हड़ताल हो गई।
आंदोलनकारियों का गढ़ होने के चलते कमिश्नर ऐक्टन डिप्टी कमिश्नर केएस मिश्र तथा इलाका हाकिम मेहरबान सिंह के साथ सेना और पुलिस लेकर विद्रोहियों का दमन करने के लिए पहुंचे। गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के जोश में गवर्नमेंट कालेज (वर्तमान राजकीय इंटर कालेज अल्मोड़ा) के छात्रों की सेना और पुलिस के साथ मुठभेड़ हो गई।
पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया तो इसके उत्तर में छात्रों ने अपने अत्याचारियों पर पत्थरों से प्रहार कर दिया। इस दौरान कमिश्नर ऐक्टन के सिर पर गहरी चोट लग गई। इससे भड़ककर उसने पूरे अल्मोड़ा शहर पर छह हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। आंदोलन में भाग लेने वाले छात्रों को स्कूल से भी निष्कासित कर दिया गया। इसी के साथ कालेज भी अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गया।
इसकी सजा प्रधानाचार्य एसडी कपूर सहित समस्त अध्यापकों को भी भुगतनी पड़ी। उनका एक माह का वेतन सामूहिक जुर्माने के रूप में वसूला गया। कमिश्नर कुमाऊं जयति चंद्रा के सहयोग से प्रकाशित इतिहासकार शेखर पाठक की 'सरफरोशी की तमन्ना' के अनुसार इस अपराध में कक्षा 11 के छात्र चतुर सिंह बोरा (कारखाना बाजार) तथा नाथलाल साह (गंगोला मोहल्ला) को गिरफ्तार कर लिया गया।
द्वाराहाट में भी हाईस्कूल के छात्र हीरा सिंह महर तथा परमानंद भंडारी को आंदोलन में भाग लेने के कारण दंडित किया गया। प्रेम विद्यालय ताड़ीखेत तथा गणानाथ विद्यालय ताकुला के छात्रों व अध्यापकों की भी गिरफ्तारी हुई।
बौरारो के 27 व टोटासिलंग के 15 गांवों पर भी लगा जुर्माना
31 अगस्त को टोटासिलंग के सरकारी लीसा डिपो में भयंकर आग लग गई। इससे वहां रखा सैकड़ों टन लीसा भस्म हो गया। ब्रितानी हुकूमत को आशंका थी कि यह अग्निकांड चनौदा गांधी आश्रम के कार्यकर्ताओं ने किया। सितंबर में जन्माष्टमी के दिन भारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे डिप्टी कमिश्नर ने आश्रम के 15 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया।
आश्रम पर 35 हजार रुपये का जुर्माना लगा संचालक शांतिलाल त्रिवेदी को अपने गृहक्षेत्र गुजरात जाने का आदेश दे दिया। हालांकि त्रिवेदी ने उल्टे अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए ललकार दिया। इस अग्निकांड के लिए टोटासिलंग के 15 गांवों पर दो हजार दो सौ 64 रुपये के साथ ही पल्ला बौरारो के 27 गांवों पर भी छह हजार छह सौ 33 रुपये का जुर्माना लगा दिया गया।
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