नैनीताल में अंधाधुंध निर्माण बन रहा जैव विविधता के लिए बना खतरा, जानिए
वन विभाग के नैना रेंज कोसी रेंज अंतर्गत जैव विविधता संरक्षण के लिए बनाए गए नयना देवी हिमालयन बर्ड कन्जरवेशन रिजर्व क्षेत्र में बिल्डरों की घुसपैठ से जैव विविधता को खतरा पैदा हो गय
नैनीताल, जेएनएन : वन विभाग के नैना रेंज, कोसी रेंज अंतर्गत जैव विविधता संरक्षण के लिए बनाए गए नयना देवी हिमालयन बर्ड कन्जरवेशन रिजर्व क्षेत्र में बिल्डरों की घुसपैठ से जैव विविधता को खतरा पैदा हो गया है। किलबरी-पंगूठ क्षेत्र के सड़क से सटे इलाकों में धन्नासेठ रिसॉर्ट, होटल, जंगल कैंप के जरिए संकट खड़ा कर रहे हैं, जबकि इलाके की जैव विविधता की वजह से ही न केवल पर्यटन बढ़ रहा है, बल्कि बर्ड वाचिंग के लिए यह इलाका पहली पसंद बन रहा है। यही नहीं कालाढूंगी रोड से लगी मनोरा रेंज के मंगोली, बजून क्षेत्र की जैव विविधता पर भी धन्नासेठों की निगाह है।
दरअसल, 2012 में 111 वर्ग किमी क्षेत्रफल टांकी बैंड, हिमालय दर्शन से किलबरी-पंगूठ, कुंजखड़क, विनायक समेत आसपास की जैव विविधता संरक्षण के लिए नयना देवी हिमालयन बर्ड कन्जरेवशन घोषित किया गया। इस क्षेत्रफल में 11 गांव पंगूठ, बुढ़लाकोट, पाली, बगड़, महरोड़ा, घुग्घुखान, च्यूरानी, सिगड़ी, सौड़, बगड़, बांसी, हरीनगर, बधानधूरा आदि के आरक्षित वन है, जिसमें ओक, चीड़, देवदार समेत करीब सौ से अधिक वनस्पतियां लगी हैं। यह इलाका वन्य जीवों का वासस्थल भी है। जड़ी बूटियां भी बहुतायत में हैं। इस इलाके में ढाई सौ से अधिक पक्षियां भी पाई जाती हैं। इस कारण देश-दुनिया के बर्ड वाचर यहां पहुंचते हैं। वहीं वन क्षेत्राधिकारी ममता चंद का कहना है कि जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
नैनीताल में खत्म हो रहे हैं पेड़
सरोवर नगरी में पर्यावरण के दुश्मन बढ़ते जा रहे हैं। आलम यह है कि खुद के आशियाने को प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित बनाने के लिए रसूखदार पेड़ों को ठिकाने लगा रहे हैं। शहर के तमाम इलाकों में आशियाने के बीचों-बीच खड़े पेड़ व फिर उन पेड़ों का अस्तित्व मिट जाना बड़े संकट के रूप में उभर रहा है। ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में प्रतिबंध के बाद भी आशियाने बन रहे हैं।
अंधाधुंध निर्माणों पर लगे प्रतिबंध
प्रो. अजय रावत, पर्यावरणविद ने बताया कि नैनीताल के साथ ही किलबरी, पंगूठ, मंगोली व आसपास के क्षेत्र की जैव विविधता का संरक्षण प्रकृति व मानव के अस्तित्व के लिए जरूरी है। इस क्षेत्र में अंधाधुंध निर्माणों की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
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