आइआइएम काशीपुर की फीड टीम युवाओं को प्रशिक्षित कर बना रही आत्मनिर्भर, आप भी जानें
लोगों को अपना स्टार्टअप शुरू कराने और प्रशिक्षण देने में आइआइएम काशीपुर की इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप फीड टीम शानदार काम कर रही है।
काशीपुर, अभय पांडे : प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपनों को पंख देने के लिए आइआइएम काशीपुर प्रयासरत है। लोगों को अपना स्टार्टअप शुरू कराने और प्रशिक्षण देने में यहां की इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप फीड टीम शानदार काम कर रही है। काशीपुर स्टार्टअप प्रोग्राम का हिस्सा रह चुके नीरज, हर्षित और राधिका ने आज युवाओं को रास्ता दिखाने का काम किया है। ये न सिर्फ अपना स्टार्टअप शुरू कर लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं बल्कि उत्तराखंड में ही लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। चलिए जानते हैं इनकी कहानी। फीड के सीईओ शिवेन ने बताया कि आईआईएम के इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप टीम का मकसद स्टार्टअप को न सिर्फ प्रशिक्षण देना है बल्कि उनके उत्पादों की कैसे ब्रांडिंग हो इसके लिए भी प्रयास कर रही है।
फ्रांस से नौकरी छोड़ राधिका ने अपने फार्म से शुरू किया स्टार्टअप
2018 में काशीपुर आइआइएम के स्टार्टअप का प्रशिक्षण लेने वाली राधिका सिंह को अपने देश की मिट्टी से प्यार था। यही कारण रहा कि फ्रांस में पढ़ाई और जॉब भी राधिका को रिझा न सकी। 2012 में अपने पिता के किच्छा स्थित फार्म हाउस पर वापस लौटकर उन्होंने आद्योगिक कृषि पर जोर दिया। समय बीतने के साथ ही उन्होंने अपना स्टार्टअप आइडिया बनाया जिसके तहत मस्टर्ड स्प्रैड पर काम शुरू किया। आज कृर्षि मंत्रालय राधिका के स्टार्टअप को फंडिंग कर रहा है। विदेशों में मस्टर्ड स्प्रैड यानी सरसों की चटनी की काफी मांग है। इसकी चार वैरायटी है जिसके ऑनलाइन व आफलाइन दोनों तरीके से बेचा जा रहा है। राधिका भी मानती हैं कि प्रधानमंत्री का मिशन लोकल टू वोकल पर काम करने की जरूरत है, जिससे देश के स्थानीय प्रोडेक्ट न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक पहचान बनाएं।
अपने स्टार्टअप से डिडसारी गांव को दी ग्लोबल पहचान
पीएम के इसी आह्वान को साकार करने में जुटे हैं निरंजनपुर देहरादून निवासी हर्षित सचदेव। फीड टीम से प्रशिक्षण के बाद हर्षित ने ईको सिस्टम डेवलपमेंट के तहत 2018 में काम शुरू किया। फ्रांस व अमेरिका को भी पसंद आ चुके पहाड़ी नूण से स्टार्टअप शुरू करने वाले हर्षित लॉकडाउन में पहाड़ के हर्बल उत्पादों के लिए संभावनाओं पर रिसर्च किया। वह पहाड़ी अदरक, लहसुन पेस्ट, हर्बल टी, काढ़ा, भंगजीरा का तेल समेत विभिन्न उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसकी सप्लाई न सिर्फ भारत में हो रही है बल्कि यूरापीय देशों व अमेरिका में उनके उत्पाद पसंद किए जा रहे हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर की इनोवेशन टीम से जुड़े हर्षित को इस काम में एक्सपर्ट भी मदद कर रहे हैं। हर्षित को विदेशों से काफी डिमांड मिल रही है।
नीरज गाय के गोबर से बनी राखियों से दे रहे चीन को मात
काशीपुर के आवास विकास में रहने वाले नीरज ने बेसहारा गायों के जरिये अपनी किस्मत चमका रहे हैं। देशी गाय के गोबर से कलाकृतियां बनाने को मशहूर नीरज ने 2020 मार्च में आइआइएम काशीपुर के उदय कार्यक्रम का हिस्सा रहे। फीड टीम से मिली सलाह के बाद वो देशी राखियां बना रहे हैं, जिन्हें देश के विभिन्न शहरों में काफी पसंद किया जा रहा है। जिसकी मांग दक्षिण भारत से लेकर विदशों तक हो रही है। नीरज गोबर से बनने वाले उत्पादों से प्रति माह लाखों की आय कर रहे हैं और इसके जरिए गो पालकों व अपने उत्पादों को बनाने के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
क्या है लोकल-वोकल
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने 'लोकल, ग्लोबल, वोकल' के अपने भाव के जरिए जनता को देश में बनी वस्तुओं को प्रमोट करने का संदेश दिया। कोरोना संकट को देखते हुए देशवासियों को भारत की क्षमताओं से अवगत कराया तो वहीं अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि आज हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए 'वोकल' बनना है। पीएम का यह संदेश चीन जैसे देशों के लिए खतरे की घंटी है, जिनके सामान भारतीय बाजारों में भरे पड़े हैं। इस संदेश के जरिये स्थानीय प्रोडक्ट की ब्राडिंग कर उसे ग्लोबल पहचान देना मकसद है।


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