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    आईएफएस संजीव चतुर्वेदी: डीओपीटी ने कैट में दाखिल किया शपथपत्र, पूर्व के आदेश को वापस लेने की प्रार्थना

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 01:56 PM (IST)

    नैनीताल, उत्तराखंड से खबर है कि आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामले में, डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नैनीताल। भारत सरकार कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उत्तराखंड कैडर के आईएफएस संजीव चतुर्वेदी को केंद्र में संयुक्त सचिव के पद के लिए पैनल में नहीं रखने के मामले में केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में शपथपत्र दिया है, जिसमें 14 अक्टूबर के अपने पहले के ऑर्डर को वापस लेने की प्रार्थना की गई है, जिसमें विभाग को 360 डिग्री या मूल्यांकन अप्रेजल गाइडलाइंस को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया गया था।

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    आईएफएस चतुर्वेदी के अधिवक्ता सुदर्शन गर्ग ने कहा कि यह कदम केंद्र का एक और यू टर्न दिखाता है। उन्होंने कहा कि डीओपीटी ने तर्क दिया था कि गाइडलाइंस कमेटी के दायरे में आती हैं, पब्लिक डोमेन में नहीं हैं। उन्हें सिर्फ ट्रिब्यूनल को गोपनीय तौर पर दिखाया जा सकता है।

    गर्ग ने कहा कि डीओपीटी के सचिव में संसदीय समिति के सामने अपनी लंबी गवाही में 360 डिग्री अप्रेजल की हर डिटेल पहले ही बता दी थी, कि इसे क्यों शुरू किया गया था, इसे कैसे किया जाता है और इसमें क्या दिखता है। अब छह साल बाद डीओपीटी इसे सीलबंद कवर में रखने का अजीब स्टैंड ले रहा है।

    10 अगस्त 2017 को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, न्याय से सम्बंधित संसदीय कमेटी ने अपनी 92वीं रिपोर्ट में 360 डिग्री अप्रेजल, जिसे मल्टी सोर्स फीडबैक, भी कहा जाता है, की जांच की।

    डीओपीटी सचिव ने बताया था कि भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर या उससे ऊपर के अधिकारियों के पैनल में शामिल होने के लिए पांच हितधारकों– वरिष्ठ, कनिष्ठ, समकक्ष, बाहरी हितधारक और सचिव से प्रतिक्रिया लेकर शामिल किया जाता है, जिसमें निष्ठा, प्रतिपादन, क्षमता, व्यवहारिक योग्यता, कार्यात्मक कौशल, कार्यक्षेत्र विशेषज्ञता का मूल्यांकन किया गया था। कमेटी ने सिस्टम को अपारदर्शी और व्यक्तिपरक पाया, यह नोट किया कि प्रतिक्रिया अनोपचारिक ढंग से ली गई थी और इसमें हेराफेरी का संकट था।

    9 अक्टूबर 2023 को डीओपीटी ने चतुर्वेदी के एम्पैनलमेंट मामले में कैट के सामने एक शपथपत्र में अपना मत बदल दिया था। इसमें कहा गया था कि भारत सरकार में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, इसलिए कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, क्योंकि याचिका में एक रिक्वेस्ट 360 डिग्री अप्रेजल के रिकॉर्ड मंगाने की थी।

    23 मई को, चतुर्वेदी की दूसरी याचिका पर सुनवाई के दौरान डीओपीटी के अधिवक्ता ने कैट को बताया कि एनएसएफ या मल्टी सोर्स फीडबैक प्रविधान के कारण चतुर्वेदी के एम्पैनलमेंट प्रोसेस से जुड़े दस्तावेज नहीं बताएगा।

    14 अक्टूबर को चतुर्वेदी के ज़ोर देने पर डीओपीटी के अधिवक्ता ने ट्रिब्यूनल के सामने एक सीलबंद लिफाफे में गाइडलाइंस प्रस्तुत कीं। ट्रिब्यूनल ने इसे वापस कर दिया और डीओपीटी को इसे रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया।