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    IFS संजीव चतुर्वेदी के केस से एक और जज ने खुद को किया अलग, अब तक 15 जजों ने किया सुनवाई से इनकार; ये है मामला

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 04:09 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने आईएफएस संजीव चतुर्वेदी से जुड़े अवमानना मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सदस्यों पर स्थगन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाया है। संजीव के मामलों से अब तक 15 न्यायाधीश खुद को अलग कर चुके हैं। इस वर्ष यह चौथा न्यायिक रिक्यूजल है।

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    सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने संजीव चतुर्वेदी के मामले की सुनवाई से स्वयं अलग कर लिया था। File

    जासं, नैनीताल। वानिकी प्रशिक्षण संस्थान हल्द्वानी, नैनीताल के निदेशक व चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामले से एक और न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया है।

    अब नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने अवमानना याचिका की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया, संजीव ने अपनी याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सदस्यों और रजिस्ट्री पर उसके स्थगन आदेश की जानबूझकर अवहेलना का आरोप लगाया गया था।

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    15 न्यायाधीश खुद को कर चुके हैं केस से अलग

    संजीव के मामलों से देश के न्यायिक इतिहास में रिकार्ड 15 न्यायाधीश खुद को अलग कर चुके हैं। इस वर्ष संजीद चतुर्वेदी को मामले में यह चौथा न्यायिक रिक्यूजल है। फरवरी 2025 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के दो न्यायाधीश हरविंदर ओबेरॉय और बी आनंद ने चतुर्वेदी की सुनबाई से स्वयं को अलग किया था, जबकि अप्रैल 2025 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) नेहा कुशवाहा ने भी सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया।

    2018 में संजीव की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया था कि संजीव के सेवा मामले की सुनवाई कैट की नैनीताल सर्किट बैंच में की जाए, साथ ही केंद्र सरकार पर 25 हजार जुर्माना भी लगाया गया था. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मी बरकरार रखा था। वर्ष 2021 में हाई कोर्ट ने अपने पहले के इस रुख को दोहराया, जिसे कें केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का निर्णय लिया।

    नवंबर 2013 में, तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने संजीव चतुर्वेदी से संबंधित मामले की सुनवाई से स्वयं अलग कर लिया था। यह मामला हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य के अन्य वरिष्ठ राजनेताओं व नौकरशाहों की भूमिका में सीबीआई जांच की मांग से संबंधित था, अगस्त 2016 में, सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति यूयू ललित ने भी इस मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था।

    अप्रैल 2018 में शिमला की एक अदालत के न्यायाधीश ने स्वयं को संजीव चतुर्वेदी के विरुद्ध हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विनीत चौधरी की ओर से दायर मानहानि मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था। मार्च 2019 में कैट के तत्कालीन चेयरमैन एन रेड्डी ने संजीव के स्थानांतरण याचिकाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था।

    फरवरी 2021 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) दिल्ली के एक अन्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति आरएन सिंह ने भी संजीव की एक सेवा संबंधी मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था।

    मई 2023 में नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश जबकि नवंबर 2023 में कैट के न्यायाधीशों की खंडपीठ ने सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था। इस वर्ष जनवरी में, एक अन्य कैट न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने भी उनके एक सेवा संबंधी मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया।