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    कान में छेद हो गया तो बीच में न छोड़ें इलाज

    By Edited By:
    Updated: Tue, 01 May 2018 04:54 PM (IST)

    कान में छेद होने पर लोग हल्का दर्द समझ टाल देते हैं। कई बार इलाज कराते हैं तो भी पूरी दवा नहीं लेते हैं।

    कान में छेद हो गया तो बीच में न छोड़ें इलाज

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कान में छेद होने पर लोग हल्का दर्द समझ टाल देते हैं। कई बार इलाज कराते हैं तो भी पूरी दवा नहीं लेते हैं। इस तरह की लापरवाही श्रवण शक्ति को खत्म करने के साथ ही कान की समस्या को बढ़ा देती है। इसलिए ध्यान रहे, अगर ऐसी स्थिति आ गई है तो तीन सप्ताह के भीतर ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखा लें। यह सलाह रविवार को कृष्णा अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की वरिष्ठ ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. पूजा सुयाल ने दी। वह दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में मौजूद थी। उन्होंने कुमाऊं भर के सुधी पाठकों से सीधी बात कर परामर्श दिया। --- इसलिए आता है कान से मवाद - परदे में चोट लगना - परदे को बार-बार खुरचना - नाक में साइनोसाइटिस होना - बच्चों में लंबे समय तक सर्दी-जुकाम लगना - दवा खाते समय परहेज न करना --- ये है उपचार का तरीका डॉ. सुयाल का कहना है, बीमारी के दो प्रकार हैं, सेफ व अनसेफ। सेफ में कान के परदे में छेद होता है। तीन सप्ताह तक इलाज करने में आसानी रहती है। दवाइयां दी जाती है। अनसेफ स्थिति में कान की हड्डी गल जाती है। इसमें ऑपरेशन ही इलाज है। --- ऐसे बचाएं अपना कान - बच्चों के सिर ऊंचा रखकर दूध पिलाएं - बच्चों का सर्दी-जुकाम जल्द ठीक कराएं - गले का संक्रमण का जल्द इलाज करा लें - कान के परदे पर चोट न लगने दें - तेज आवाज वाले स्थान पर जाने से बचें - कान को नुकीली चीज ने न खुरचें --- खून आने के ये हैं कारण - मौसम के अनुसार नाक का सूखना - नाक में बार-बार अंगुली लगाना - नाक में चोट लगना - नाक के अंदर संक्रमण करना - बार-बार जुकाम लगाना - नाक के अंदर ट्यूमर होना - नाक की हड्डी का टेढ़ा होना - डिस्प्रीन व दर्द निवारक दवाइया का अधिक सेवन --- खून बहने का यह है इलाज डॉ. सुयाल का कहना है, नाक से खून बहने पर सीधे बैठ जाएं। तुरंत नाक को हाथ से बंद कर दें। पांच मिनट तक बंद रखें और मुंह से सांस लें। नाक के बाहर बर्फ की सिकाई की जा सकती है। जिन लोगों का अधिक देर तक खून निकलता है, उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। खून रोकने के लिए दूरबीन विधि से नस को सील कर दी जाती है। अन्य कोई बीमारी होने पर दवाइयों या फिर ऑपरेशन से उपचार किया जाता है। --- इन्होंने लिया परामर्श धर्मपाल अग्रवाल काशीपुर, शमशेर सिंह ख्वांकोट पिथौरागढ़, बची सिंह बजीना रानीखेत, राधेश्याम शमा इंद्रपुर, नीलम रुद्रपुर, लक्ष्मण सिंह जंगी बिंदुखत्ता, हरीश सिंह काशीपुर, नीरज रुद्रपुर, रतन गोस्वामी नैनीताल, मीना नेगी फतेहपुर, कमल हल्द्वानी, प्रीति बिष्ट हल्द्वानी, रमेश रौतेला अल्मोड़ा, विजय बागेश्वर, लीला तिवारी रानीखेत, पूरन गैड़ा नैनीताल, जीवन सिंह नेगी पिथौरागढ़, सुरेश पाठक हल्द्वानी आदि ने फोन कर सलाह ली।

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