पति ने देश के लिए बलिदान दिया, पत्नी को लड़नी पड़ रही हक की 'जंग'
शौर्य चक्र विजेता कमांडेंट सुधीर कुमार बमेठा की पत्नी 21 वर्षों से पेट्रोल पंप के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो उनके पति के बलिदान के बाद स्वीकृत हुआ था। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने एचपीसीएल को आपत्तियां दूर करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि मामला एचपीसीएल स्तर पर अटका हुआ है। रामनगर की एक कंपनी द्वारा पीएफ जमा न करने पर कमिश्नर ने चेतावनी भी दी।

शौर्य चक्र विजेता कमांडेंट बमेठा के परिवार को नहीं मिल पाया पेट्रोल पंप। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। देश की रक्षा के लिए बलिदान हुए बीएसएफ कमाडेंट सुधीर कुमार बमेठा की पत्नी की 21 साल से हक की जंग जारी है। आपरेशन पराक्रम में अदम्य साहस दिखाने के लिए कमाडेंट को शौर्य चक्र मिला था। इसके बाद परिवार को पेट्रोल पंप आवंटन की घोषणा भी हुई। लेकिन पंप से जुड़ी प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हो पाई। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के समक्ष मामला पहुंचने पर एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड) के अधिकारी से जल्द से जल्द आपत्तियों का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं।
कमाडेंट सुधीर कुमार बमेठा जुलाई 2002 को जम्मू कश्मीर में पूंछ में आपरेशन पराक्रम के तहत सैन्य मिशन पर थे। इस दौरान कमाडेंट दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। मरणोपरांत शौर्य चक्र भी दिया गया। वर्तमान में पत्नी गीताजंलि व परिवार मुखानी स्थित जेकेपुरम के एफ ब्लाक में रहता है। शनिवार को गीतांजलि कमिश्नर दीपक रावत के कार्यालय पहुंची थी। वीरनारी ने कमिश्नर को बताया कि वर्ष 2004 में उन्हें एचपीसीएल का पेट्रोल पंप स्वीकृत हुआ था। रुद्रपुर में उनकी निजी जमीन है। जहां पेट्रोल पंप स्थापित होना था। लेकिन 21 साल बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
वहीं, शौर्य चक्र विजेता के परिवार से जुड़ा मामला होने पर आयुक्त ने एनएचएआइ, एचपीसीएल और ऊधम सिंह नगर के पूर्ति अधिकारी को भी तलब कर लिया। वीरनारी का कहना था कि दमकल विभाग और एनएचएआइ की तरफ अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने में कोई आपत्ति नहीं है। मामला एचपीसीएल के स्तर पर अटका है। इसके बाद कमिश्नर दीपक रावत ने एचपीसीएल के अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि जल्द से जल्द आपत्तियों का निस्तारण किया जाए। अगली सुनवाई में रिपोर्ट मांगी जाएगी।
वेतन से कटौती लेकिन पीएफ में जमा नहीं किए पैसे
शनिवार को कैंप कार्यालय में आयोजित सुनवाई के दौरान रामनगर की एक फूड कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों ने कहा कि 2019 से वह काम कर रहे हैं। 20 लोगों के वेतन से पीएफ के पैसों की कटौती के बावजूद प्रबंधन की तरफ से खाते में रकम जमा नहीं की गई। कमिश्नर ने प्रबंधन को पैसे जमा न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके अलावा स्थायी निवासी प्रमाणपत्र बनाने, सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने, लेन-देन समेत अन्य मामलों को लेकर भी सुनवाई हुई। संबंधित विभाग के अधिकारियों को जल्द से जल्द समस्या के समाधान के निर्देश दिए गए हैं।

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