Uttarakhand Panchayat Chunav: दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले उम्मीदवारों को हाई कोर्ट से झटका, चुनाव लड़ने पर रोक
उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग के उस निर्देश पर रोक लगा दी जिसमें दो जगह मतदाता सूची में नाम वाले पंचायत चुनाव प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के कारण वर्तमान चुनाव में हस्तक्षेप नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है।

जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने जिन मतदाताओं व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के नाम दो जगह, नगर निकाय और ग्राम पंचायत की मतदाता सूचियों में हैं, उन्हें मतदान करने व चुनाव लड़ने की अनुमति देने से संबंधित राज्य निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश पर रोक लगा दी है।
आयोग की ओर से 6 जुलाई को इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया था जबकि जिला निर्वाचन अधिकारियों को 19 2019 को दिशा निर्देश जारी किए थे। लेकिन कोर्ट ने पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न होने पर वर्तमान चुनाव में हस्तक्षेप नहीं किया है। कोर्ट ने स्थानीय नगर निकाय और ग्राम पंचायत, दोनों मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने को पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध बताया है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में गढ़वाल के शक्ति सिंह बर्त्वाल की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। जिसमें कहा गया कि राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के नाम दो जगह, नगर निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत की मतदाता सूची में हैं ।इस मामले रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय दिए हैं ।
दो जगह नाम होने पर कुछ लोगों के नामांकन रद हो गए हैं, तो कुछ लोगों के नामांकन को स्वीकृति मिल गई है। याचिका में कहा गया है कि देश में किसी भी राज्य में मतदाता सूची में दो अलग-अलग मतदाता सूची में नाम होना आपराधिक श्रेणी में आता है। ऐसे में उत्तराखंड राज्य में निर्वाचन आयोग की ओर से किस आधार पर ऐसे लोगों के निर्वाचन को स्वीकृति प्रदान की जा रही है?
शिकायतकर्ता शक्ति सिंह बर्त्वाल ने राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त 7 एवं 8 जुलाई को पत्र प्रेषित किया गया था। जिसके माध्यम से उत्तराखंड में गतिमान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नगर निकाय चुनाव की मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को मतदान एवं नामांकन से रोके जाने के विषय में स्पष्ट दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया था। जिसके जवाब से असंतुष्ट और पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उप धारा 6 और 7 का पालन न करने की शिकायत हाई कोर्ट में याचिका दायर कर की है।
इधर आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार कोर्ट ने मौजूदा चुनाव प्रक्रिया पर किसी तरह हस्तक्षेप नहीं किया है, इन चुनावों पर इसका असर नहीं पड़ेगा लेकिन भविष्य में पड़ेगा। आदेश की प्रति मिलने के बाद आयोग विधिक पहलुओं पर विचार करेगा।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार कोर्ट के आदेश के बाद दो मतदाता सूची में नाम वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गए हैं, यदि राज्य निर्वाचन आयोग ने इसको गंभीरता से नहीं लिया तो यह अवमानना के दायरे में आएगा
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