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    विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को बेहद सस्‍ती दरों पर बिजली देने के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा ब्‍योरा

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 15 Nov 2019 10:21 AM (IST)

    हाईकोर्ट ने राज्य के ऊर्जा निगमों के अधिकारी और कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने व आम जनता के लिए बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

    विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को बेहद सस्‍ती दरों पर बिजली देने के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा ब्‍योरा

    नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों को अब मुफ्त में बिजली नहीं मिलेगी। हाई कोर्ट ने अब उत्तराखंड पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल), उत्तराखंड पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन (पिटकुल) और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि.(यूजीवीएनएल) के अधिकारी-कर्मचारियों को दी जा रही बिजली का संपूर्ण डेटा 25 नवंबर को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।

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    गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून आरटीआइ क्लब की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि ऊर्जा निगमों में तैनात अधिकारियों सेएक माह का बिजली बिल सिर्फ चार-पांच सौ रुपये व कर्मचारियों का मात्र सौ रुपये वसूला जा रहा है। जबकि इनका बिल लाखों रुपये में आता है, जिसका बोझ सीधे जनता पर पड़ता है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि ऊर्जा निगमों के तमाम अधिकारियों के घर में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं, यदि लगे भी हैं तो खराब स्थिति में हैं। उदाहरण के तौर पर जनरल मैनेजर का 25 माह का बिल 4.20 लाख आया था और उनके बिजली मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नहीं ली गई। ऊर्जा निगमों द्वारा वर्तमान के साथ रिटायर कर्मचारियों व उनके आश्रितों को भी मुफ्त में बिजली दी गई। याचिकाकर्ता के अनुसार उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है, मगर यहां हिमाचल प्रदेश से अधिक महंगी बिजली है। जबकि वहां बिजली का उत्पादन यहां से कम होता है। सुनवाई के दौरान यूपीसीएल ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि साफ किया कि अधिकारियों-कर्मचारियों को अब फ्री में बिजली नहीं दी जाएगी। 18 नवंबर को इसके लिए नीति तय करने के लिहाज से तीनों निगमों के एमडी स्तर की बैठक होनी है। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद ऊर्जा निगमों के अधिकारी-कर्मचारियों को दी जा रही बिजली का संपूर्ण डेटा 25 नवंबर को कोर्ट में पेश करने के आदेश पारित किए हैं।

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