कार्बेट पार्क के दायरे में स्टोन क्रशर लगाने को लेकर हाईकोर्ट गंभीर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व स्टोन क्रशर स्वामी से मांगा जवाब
कार्बेट पार्क के दस किमी दायरे में स्टोन क्रशर लगाने को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मनराल स्टोन क्रशर को नोटिस जारी कर तीन सप् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कार्बेट पार्क के दस किमी दायरे में स्टोन क्रशर लगाने को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मनराल स्टोन क्रशर को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रामनगर निवासी पूर्व सैनिक आनंद नेगी व सर्वजीत सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में सुनवाई हुई।
ग्राम सक्खनपुर रामनगर में कॉर्बेट पार्क से प्रतिबंधित सीमा में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति प्राप्त हुए बिना, बनाये जा रहे मनराल एसोसिएट स्टोन क्रशर के मामले में क्रशर स्वामी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि पहले ही इस मामले में राज्य सरकार द्वारा शपथपत्र दायर कर कोर्ट को बताया गया था कि मनराल स्टोन क्रशर द्वारा निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा! यदि राज्य सरकार के शपथपत्र के विपरीत सहमति जारी की जा रही है या निर्माण कार्य किया जा रहा है तो याचिकाकर्ता संबंधित अधिकारियों के खिलाफ झूठे शपथपत्र दायर करने संबंधी कार्यवाही कर सकता है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह आदेश दिया था कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कॉर्बेट पार्क की सीमा के विभिन्न बिंदुओं से मनराल स्टोन क्रशर की साइट से दूरी नापने और अन्य सभी आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही मनराल स्टोन क्रशर की सहमति पर विचार किया जा सकेगा! सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप नेशनल पार्क की 10 किलोमीटर की सीमा के अंदर प्रदूषणकारी उद्योग स्थापित नहीं किये जा सकते! याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पूर्व में पेश की जीपीएस एक्सपर्ट द्वारा मापी गयी दूरियों के अनुसार यह स्टोन क्रशर कॉर्बेट पार्क से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर है जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश दिया गया था, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इन सभी आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि इस स्टोन क्रशर की स्थापना हेतु सहमति पूर्व में निरस्त हो चुकी है और स्थापना की न तो कोई नई सहमति जारी की गई है और न ही 2020 की अनुज्ञा नीति के अनुसार निरीक्षक किया गया है, इसके बावजूद उक्त क्रशर द्वारा प्रतिबन्धित क्षेत्र में निर्माण कार्य किया जा रहा है और क्रशर का संचालन भी शुरू कर दिया गया है। खंडपीठ ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं मनराल स्टोन कम्पनी को नोटिस जारी कर आदेशों और नियमों के उल्लंघन पर जवाब मांगा है।

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