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वन क्षेत्र के नए मानकों के मामले में हाईकोर्ट ने राज्‍य व केन्‍द्र सरकार से मांगा जवाब nainital news

हाइकोर्ट ने दस हेक्टेयर से कम क्षेत्र में फैले या 60 प्रतिशत से कम डेन्सिटी वाले इलाकों को वनों के दायरे से बाहर करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 05:55 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 12:44 PM (IST)
वन क्षेत्र के नए मानकों के मामले में हाईकोर्ट ने राज्‍य व केन्‍द्र सरकार से मांगा जवाब nainital news
वन क्षेत्र के नए मानकों के मामले में हाईकोर्ट ने राज्‍य व केन्‍द्र सरकार से मांगा जवाब nainital news

नैनीताल, जेएनएन : हाइकोर्ट ने दस हेक्टेयर से कम क्षेत्र में फैले या 60 प्रतिशत से कम डेन्सिटी वाले इलाकों को वनों के दायरे से बाहर करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से दो जनवरी तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए दो जनवरी की तिथि नियत की गई है। 

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मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन के न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में नैनीताल निवासी विनोद कुमार पांडे की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि 21 नवम्बर 2019 को उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण अनुभाग द्वारा एक आदेश जारी किया गया है कि उत्तराखंड में जहां दस हेक्टेयर से कम या 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वन क्षेत्र हैं उन वनों को उत्तराखंड में लागू राज्य एवं केंद्र की वर्तमान विधियों के अनुसार वनों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है या उनको वन नहीं माना जा सकता। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह आदेश एक कार्यालय आदेश है, यह लागू नही किया जा सकता है क्योंकि न ही यह साशनादेश न ही यह केबिनेट से पारित है। सरकार ने इसे अपने लोगो को फायदा देने के लिए जारी किया हुआ है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि फारेस्ट कन्जर्वेशन एक्ट 1980 के अनुसार प्रदेश में 71 प्रतिशत वन क्षेत्र घोषित है जिसमें वनों की श्रेणी को भी विभाजित किया हुआ है, परन्तु इसके अलावा कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जिनको किसी भी श्रेणी में घोषित नहीं किया गया है । इन क्षेत्रों को भी वन क्षेत्र की श्रेणी शामिल किया जाय और इनके दोहन या कटान पर रोक लग सके।

सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के अपने आदेश गोडा वर्मन बनाम केंद्र सरकार में कहा है कि कोई भी वन क्षेत्र चाहे उसका मालिक कोई भी हो उनको वनों की क्षेत्र के श्रेणी में रखा जाएगा और वनों का अर्थ क्षेत्रफल या घनत्व से नहीं है। सरकार का यह आदेश इस ओर इंगित करता है कि ऐसे क्षेत्रों का दोहन कर अपने लोगों को लाभ पहुँच सके।

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