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किसान को रेलवे के लिए अधिग्रहित की गई जमीन मुआवजा नहीं देने के लिए अदालत के आदेश में छेड़छाड़

बद्रीनाथ-केदारनाथ समेत चारधामों को रेल नेटवर्क से जोडऩे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा देने से संबंधित मामले में बड़ा गोलमाल सामने आया

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 08:44 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 06:40 PM (IST)
किसान को रेलवे के लिए अधिग्रहित की गई जमीन मुआवजा नहीं देने के लिए अदालत के आदेश में छेड़छाड़
किसान को रेलवे के लिए अधिग्रहित की गई जमीन मुआवजा नहीं देने के लिए अदालत के आदेश में छेड़छाड़

नैनीताल, किशोर जोशी : बद्रीनाथ-केदारनाथ समेत चारधामों को रेल नेटवर्क से जोडऩे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा देने से संबंधित मामले में बड़ा गोलमाल सामने आया है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर सतर्कता अधिष्ठान हल्द्वानी ने इस फर्जीवाड़े की जांच शुरू कर दी है। विजिलेंस ने इस संवेदनशील मामले की जांच शुरू करते हुए रेलवे प्रोजेक्ट के मुख्य परियोजना प्रबंधक, किसान समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर तीन दिन में बयान दर्ज करने कहा है।

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जानिए क्‍या है पूरा प्रकरण

दरअसल ऋषिकेष-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के टिहरी गढ़वाल के मलेथा में रेलवे स्टेशन प्रस्तावित है। इसके लिए रेलवे द्वारा जमीन का अधिग्रहण किया गया। करीब चार हेक्टेयर भूमि को किसान अनिल किशोर जोशी द्वारा भूमिधरों से लीज पर लिया गया था, जिलाधिकारी के समक्ष इस भूमि के स्वामियों ने भूमि का मुआवजा उन्हें देने व भूमि पर उगे शहतूत के मातृवृक्ष व अन्य संपत्ति का मुआवजा किसान अनिल किशोर जोशी को देने का आग्रह किया था। जब मुआवजा नहीं मिला तो अनिल किशोर जोशी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। छह मई 2019 को कोर्ट ने याचिका निस्तारण करते हुए याची को भूमि अधिग्रहण एवं प्रतिकर ट्रिब्यूनल में रेफरेंस दाखिल करने को कहा।

रेलवे ने रिव्‍यू में गलत आदेश संलग्‍न किया

14 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल ने कलेक्टर टिहरी व रेलवे को मौके पर स्थित संपत्ति को खुर्दबुर्द न करने का आदेश पारित किया। इस आदेश के खिलाफ रेलवे द्वारा ट्रिब्यूनल में रिव्यू व रिकॉल याचिका दायर की। साथ ही रेलवे द्वारा ट्रिब्यूनल के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देती याचिका दायर की। रेलवे द्वारा याचिका में तीन मई का एक आदेश भी संलग्न कर दिया गया। जबकि आदेश छह मई का था। जब रेलवे की याचिका की कॉपी विपक्षी अनिल किशोर जोशी को मिली तब जाकर आदेश में छेड़छाड़ होने का शक हुआ। इस संवेदनशील मामले में एसपी विजिलेंस अमित श्रीवास्तव ने किसी तरह की टिप्पणी करने से साफ इन्कार किया है।

7.5 लाख शहतूत के मातृ वृक्ष व अन्य का मिलना है मुआवजा

रेलवे द्वारा किसान अनिल किशोर जोशी को मुआवजा नहीं दिया गया है। उद्यान विभाग के आंकलन के अनुसार करीब 7.5 लाख शहतूत के मातृ वृक्ष हैं। जिनका मुआवजा उद्यान विभाग के मानकों के अनुसार प्रति वृक्ष 3400 रुपये देना है। अब अदालत के आदेश में छेड़छाड़ के मामले में विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है। यहां बता दें कि चारधाम रेलवे नेटवर्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

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