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भांग की खेती पर हार्इकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख, जवाब तलब

हार्इकोर्ट ने भांग की खेती के बढ़ते दायरे पर हार्इकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए डीएम और समाज कल्याण अधिकारियों से जवाब मांगा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 06:59 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 05:27 PM (IST)
भांग की खेती पर हार्इकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख, जवाब तलब
भांग की खेती पर हार्इकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख, जवाब तलब

नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भांग की खेती के बढ़ते दायरे और चरस के बढ़ते व्यापार पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने जिलाधिकारियों व समाज कल्याण अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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चंपावत जिले के पाटी ब्लॉक निवासी सतीश सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा भांग की खेती व चरस के व्यापार को रोकने के लिए कोई ठोस कार्य नहीं कर रही है। इस वजह से युवा और स्कूली बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। कई युवाओं का भविष्य बर्बाद हो गया है।

याचिकाकर्ता के अनुसार वह स्वयं के खर्च पर चरस व अफीम के खिलाफ सभा व अन्य कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। शासन प्रशासन को प्रत्यावेदन भी दे रहे हैं, मगर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने राज्य के जिलाधिकारियों व जिला समाज कल्याण अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं। 

जंगली जानवरों से परेशान होकर मजबूरी में होने लगी भांग की खेती 

चंपावत जिले के पर्वतीय क्षेत्र में भांग की खेती बहुतायत में होती है। बंदर-लंगूर समेत जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक से परेशान होकर काश्तकारों ने दूसरी फसलों को मोह त्याग भांग की खेती पर ही फोकस किया है। पिछले साल नार्कोटिक्स विभाग देहरादून की टीम द्वारा पहाड़ के गांवों में जाकर खेतों से भांग की खेती नष्ट भी की, लेकिन इसका अधिक असर सामने नहीं आया। 

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