सहायक अभियोजन अधिकारी भर्ती मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई, आयोग को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के निर्देश
नैनीताल उच्च न्यायालय ने सहायक अभियोजन अधिकारी भर्ती परीक्षा में याचिकाकर्ता के चयन न होने पर सुनवाई की। कोर्ट ने गृह सचिव से गलती करने वाले अधिकारी का नाम पूछा और आयोग से जवाब मांगा। याचिकाकर्ता ने 2021 की भर्ती में दिव्यांग कोटे के पद वापस लेने और साक्षात्कार के बाद भी चयन न होने को चुनौती दी है। अदालत ने आयोग को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से गृह सचिव शैलेश बगौली पेश हुए। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सहायक अभियोजन अधिकारी भर्ती परीक्षा में याचिकाकर्ता का चयन नहीं किये जाने के मामले पर सुनवाई की। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से गृह सचिव शैलेश बगौली पेश हुए।
कोर्ट ने उनसे पूछा है कि किस अधिकारी की वजह से ये गलती हुई है, उसका नाम कोर्ट को बताएं। किस आधार पर यह कह दिया कि प्रतीक्षा सूची का समय समाप्त हो गया है जबकि भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। कोर्ट ने इस पर जवाब पेश करने को कहा है। साथ ही लोक सेवा आयोग के अधिकारियों से जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। इस मामले को अभ्यर्थी अमन गुप्ता की ओर से चुनौती दी गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 2021 में आयोग ने सहायक अभियोजन अधिकारी के 63 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की। प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के बाद परीक्षा परिणाम घोषित किया गया लेकिन 30 नवंबर 2022 को आयोग ने दिव्यांग कोटे के दो पदों को वापस ले लिया और साक्षात्कार के बाद 17 मार्च 2023 को 61 पदों का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया।
आयोग के इस कदम को एक अन्य याचिकाकर्ता क्षितिज रावत ने चुनौती दी और कहा कि दिव्यांग कोटे के दो पदों को गलत ढंग से वापस लिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए आयोग को दो पदों पर भी भर्ती करने के निर्देश दिये। फिर आयोग ने 17 अगस्त को इन पदों के लिए परिणाम घोषित कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि आयोग ने साक्षात्कार के बाद भी उसका चयन नहीं किया है।
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