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    हाई कोर्ट को अपना ही आदेश रोकने के लिए डालने पड़ी याचिका

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Thu, 08 Dec 2016 07:30 AM (IST)

    ऐसा पहला मौका था जब हाई कोर्ट को अपने ही आदेश में संशोधन के लिए खुद याचिका डालनी पड़ी। मामला झील के दो किलोमीटर दायरे पर निर्माण कार्य की है।

    नैनीताल, [जेएनएन]: उत्तराखंड राज्य में झीलों के दो किमी दायरे में निर्माण पर पाबन्दी लगाने के हाई कोर्ट के आदेश के बाद नैनीताल के साथ ही झील किनारे बसे अन्य शहरों में ही निर्माणधीन कार्यो पर ब्रेक लग गया। यहां तक कि आदेश की वजह से हाई कोर्ट के निर्माण कार्य तक रुक गए। इसमें मुख्य न्यायाधीश का आवास भी शामिल था। जिसे नए तरीके से बनाया जा रहा है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर हाई कोर्ट की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई।
    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने बहस करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश से निर्माणाधीन कार्य भी ठप हो गए है।

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    लिहाजा आदेश में संशोधन किया जाय। जिसके बाद खंडपीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए पूर्व आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि निर्माणाधिन कार्य जारी रहेंगे। पिछले दिनों जस्टिस राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झील किनारे दो किमी दायरे में निर्माण पर तथा हरे पेड़ काटने पर पाबन्दी लगा दी थी। यह पहला मौका है जब हाई कोर्ट को अपने आदेश में संशोधन के लिए खुद याचिका दायर करनी पड़ी।

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