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    डीएम दीपक रावत को हाई कोर्ट का अवमानना नोटिस, नौ को किया तलब

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 03 Jan 2019 06:27 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने अवैध स्लाटर हाउस बंद करने के आदेश का अनुपालन नहीं करने के मामले में सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत को अवमानना नोटिस जारी किया है।

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    डीएम दीपक रावत को हाई कोर्ट का अवमानना नोटिस, नौ को किया तलब

    नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने अवैध स्लाटर हाउस बंद करने के आदेश का अनुपालन नहीं करने के मामले में सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत को अवमानना नोटिस जारी किया है। साथ ही नौ जनवरी को कोर्ट में तलब किया है।
    गुरुवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हरिद्वार निवासी परवेज आलम ने अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी पर अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार कोर्ट ने अवैध बुचड़खानों को बंद करने का आदेश पारित किया। साथ ही सार्वजनिक स्थान पर जानवर के वध पर पाबंदी लगाई थे। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी हरिद्वार में तमाम स्थानों पर सार्वजनिक स्थानों पर जानवरों का वध किया जा रहा है। अवैध कत्लेखानों का संचालन हो रहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार आदेश के क्रियान्वयन को लेकर बार-बार जिला मजिस्ट्रेट को प्रत्यावेदन दिया मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में शासन की ओर से भी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, मगर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उनका अनुपालन नहीं किया गया। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद डीएम को अवमानना नोटिस जारी करते हुए नौ जनवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।

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    युवा हाथी हेमा को कब्जे में लेने के मामले में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

    नैनीताल : हाई कोर्ट ने कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर के रिजॉर्ट से युवा हाथी हेमा को कब्जे में लेने के मामले में सरकार को सात जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
    गाजियाबाद निवासी तौसीफ ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा है कि वह युवा हाथी हेमा का मालिक है। उसका हाथी स्वस्थ है। वन अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से उसे कब्जे में लिया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार वन अधिकारियों की अनुमति के बाद कोई भी हाथी को अपने पास रख सकता है। वनाधिकारियों की कार्रवाई को याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद पुनर्विचार याचिका दायर की गई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार से सात जनवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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