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हड़ताल पर हाई कोर्ट सख्‍त, सरकार से पूछा निजी चिकित्सक हड़ताल कर सकते हैं या नहीं

हाईकोर्ट ने राज्य में निजी डॉक्टरों और अस्पतालों की हड़ताल के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को हर नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 12:11 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 07:35 PM (IST)
हड़ताल पर हाई कोर्ट सख्‍त, सरकार से पूछा निजी चिकित्सक हड़ताल कर सकते हैं या नहीं
हड़ताल पर हाई कोर्ट सख्‍त, सरकार से पूछा निजी चिकित्सक हड़ताल कर सकते हैं या नहीं

नैनीताल, जेएनएन ।  हाई कोर्ट ने निजी चिकित्सालय संचालकों व चिकित्सकों की हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हर मरीज को सरकारी चिकित्सालय में उपचार मिले। इसके लिए कोर्ट ने सरकार को 27 फरवरी तक संविदा चिकित्सकों की नियुक्ति करने, दूसरे राज्यों की मदद लेने के निर्देश देते हुए रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिशन से क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट के तहत पंजीकरण कराने वाले निजी चिकित्सकों का ब्यौरा पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।
हल्द्वानी के गुरविंदर सिंह चड्ढा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के निजी चिकित्सकों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं होने से मरीजों को उपचार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि आइएमए द्वारा एक्ट में संशोधन के लिए दायर विशेष अपील खारिज हो चुकी है। कोर्ट ने साफ किया कि सरकार ने यह एक्ट हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ही लागू किया है। इसके बाद कोर्ट ने हर सरकारी अस्पताल में मरीजों की भीड़ में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए वैकल्पिक इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा कि आइएमए एक्ट में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रख सकती है।

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