टूर घोटाला : हाई कोर्ट ने पूछा, राष्ट्रीय अवकाश पर 20 लाख का भुगतान कैसे हुआ
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के बहाने दक्षिण अफ्रीका टूर घोटाले की परतें अब उघडऩे लगी हैं।
नैनीताल, जेएनएन : कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के बहाने दक्षिण अफ्रीका टूर घोटाले की परतें अब उघडऩे लगी हैं। सोमवार को दौरे की प्रायोजक समिति के सीएफडी एकाउंट ओर से हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर रहस्य उजागर किया कि टूर के नाम पर 15 अगस्त 2008 को 20 लाख रुपये का भुगतान किया गया। कोर्ट ने पूछा कि अगस्त अवकाश के दिवस भुगतान कैसे किया गया, इस पर स्थिति साफ की जाए। कोर्ट ने कालागढ़ रैंज के प्रभारी आरके तिवारी को इस जनहित याचिका में स्वत: संज्ञान लेते हुए पक्षकार बना दिया और उन्हें दस्ती नोटिस जारी कर आठ जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। तिवारी ने 2012 के एक पत्र मे कहा था कि उनके पास टूर के लिए 20 लाख कहां से आए और कहां खर्च हुए, वह नहीं जानते। कोर्ट ने तिवारी से इस पर जवाब मांगा है।
अधिवक्ता जयप्रकाश डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2006 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवप्रभात, जसपुर के विधायक रहे शैलेंद्र मोहन सिंघल समेत तीन वन अफसर तथा होटल कारोबारी ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के बहाने दक्षिण अफ्रीका टूर पर गए थे। इस दौरे में सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की निगरानी में इस घोटाले की जांच की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई आठ जनवरी नियत की है।
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