छोटी गांठें हैं तो न निकलवाएं बच्चेदानी
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बच्चेदानी में गांठें होने का मामला आम है। यह समस्या कम उम्र की लड
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बच्चेदानी में गांठें होने का मामला आम है। यह समस्या कम उम्र की लड़कियों से लेकर उम्रदराज महिलाओं में भी हो जाती है। अक्सर होता यह है कि महिलाएं इन गांठों से डर कर बच्चादानी ही निकलवा देती हैं। जबकि अधिकांश मरीजों में छोटी गांठों में केवल गांठें हटाने से इलाज हो जाता है, बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके लिए महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है। यह सलाह रविवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता जैन ने दी। वह दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में कुमाऊं भर से सुधी पाठकों की ओर से पूछे जा रहे सवालों का जवाब दे रही थीं।
बीमारी का अभी स्पष्ट कारण पता नहीं
बच्चेदानी में गांठ को फाइब्रोइड यूटरस कहते हैं। इसका आकार मूंग जितना छोटा और खरबूज जितना बड़ा भी हो सकता है। डॉ. जैन का कहना है कि यह बीमारी क्यों होती है? अभी तक इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चल सका है। महिलाओं में यह बीमारी कॉमन है। अधिकांश मरीजों में यह गांठें बिना कैंसर की होती है। इसलिए इसमें घबराने की जरूरत नहीं।
इन लक्षणों से पहचानें बीमारी
-अत्यधिक रक्तस्राव होना
- तेज दर्द होना
- पेट में गांठ महसूस होना
- मासिक धर्म का अधिक दिनों तक चलना
- पेशाब बार-बार आना
इलाज नहीं किया तो झेलेंगे ये दिक्कतें
- अधिक रक्तस्राव से शरीर में खून की कमी
- अक्सर कब्ज की शिकायत बने रहना
- मल त्याग के समय पेट में दर्द होना
- सूजन के चलते अन्य परेशानियां होना
ऐसे करें निदान
डॉ. जैन का कहना है कि अक्सर क्लीनिक परीक्षण से ही बीमारी की यथास्थिति का पता चल जाता है। सही स्थिति का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड व अन्य जांचें भी कराई जा सकती हैं।
प्रिग्नेंसी के समय उभरी गांठें तो न कराएं गर्भपात
अगर प्रिग्नेंसी में गांठों का पता चल जाता है तो ऐसी स्थिति में गर्भपात नहीं कराना चाहिए। अगर गांठें बड़ी होंगी और इस स्थिति में ही गर्भाशय निकालना भी पड़ता है। कई बार छोटी गांठों में बच्चेदानी नहीं निकलवानी पड़ती है।
इन्होंने ली फोन से सलाह
विनीता शुक्ला ऊधमसिंह नगर, दीपा देवी मालधनचौड़, सोनी मेहरा हल्द्वानी, वंदना तिवारी नैनीताल, जसवीर कौर रुद्रपुर, सुनीता काशीपुर, गायत्री पिथौरागढ़, आशा जोशी हल्द्वानी, बलवंत सिंह बाजपुर, सूरी बाजपुर, कविता बिष्ट बागेश्वर, रश्मि जोशी खटीमा, पवन गोस्वामी टनकपुर, जीवंती देवी रुद्रपुर, हेमा सोमेश्वर, शांति आर्य अल्मोड़ा आदि ने फोन कर सलाह ली।
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