हल्द्वानी में हरीश रावत की काफल पार्टी की धूम, कलाकारों संग झूमे हरदा; बोले- 'पलायन रोकेगा ये पहाड़ी फल'
Harish Rawat Kaffal Party हल्द्वानी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कार्यकर्ताओं के साथ काफल पार्टी मनाई। उन्होंने काफल को प्रकृति का उपहार बताया और पलायन रोकने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। कार्यक्रम में कई नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए और पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। मौका मिलते ही पहाड़ी व्यजनों और उत्पादों के प्रचार में जुट जाने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत ने शुक्रवार को हल्द्वानी में आयोजित "थैंक्यू काफल पार्टी" में कहा कि ये मीठा-मीठा फल प्रकृति की बड़ी सौगात होने के साथ ही लोगों को आपस में जोड़ता भी है।
काफल पर्वतीय क्षेत्र की आर्थिकी से जुड़ा होने की वजह से ये पलायन को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसलिए हर किसी को काफल खरीद पलायन से लड़ने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। देहरादून में इस बार इसके दाम 600 रुपये प्रति किलो तक पहुंचे थे।
पीलीकोठी स्थित निजी बैंक्वेट हाल में आयोजित काफल पार्टी में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक हरीश धामी, मनोज तिवारी, सुमित हृदयेश के अलावा बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी पहुंचे थे। पंडाल में लोगों की भीड़ देख हरदा भी गदगद नजर आए। जिसके बाद हर शख्स को रसीले काफलों का स्वाद चखाया गया।
वहीं, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में नाचते पूर्व सीएम खुद दमाऊ बजाते नजर आ रहे थे। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से पहाड़ के उत्पादों को बढ़ावा मिलता है। काफल जैसे जंगली फल की ब्रांडिंग से बाजार में भी इसकी भरपूर डिमांड देखने को मिल रही है।
कार्यक्रम में मौजूद लोग
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल व ललित फर्स्वाण, जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल, आंनद रावत, जया कर्नाटक, राधा आर्य, भागीरथी देवी, राहुल सोनकर, भोला दत्त भट्ट, हरेंद्र क्वीरा, नीलू नेगी, खष्टी बिष्ट, राजेंद्र नेगी आदि मौजूद थे। वहीं, रामनगर पालिकाध्यक्ष हाजी अकरम के बेडू पाको बारामासा गीत गाकर भी खूब वाहवाही लूटी।
पूर्व सैनिकों और बुजुर्गों का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान पूर्व सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों को शाल ओढाकर सम्मानित भी किया। आपरेशन सिंदूर में भारतीय जवानों की ओर से दिखाए गए अदम्य साहस को सलामी भी दी गई। हल्द्वानी, रामनगर, बिंदुखत्ता समेत अन्य जगहों से पूर्व सैनिक कार्यक्रम में पहुंचे थे।
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