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    हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों से सजा सरस मेला, जानिए क्‍या-क्‍या है यहां खास

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 17 Jan 2019 08:17 PM (IST)

    लीक से हटकर चलने वाले लोग ही जिंदगी में मुकाम हासिल करते हैं। मन में सच्ची लगन हो तो प्रतिभा खुदबखुद उजागर होती है।

    हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों से सजा सरस मेला, जानिए क्‍या-क्‍या है यहां खास

    हल्द्वानी, जेएनएन : लीक से हटकर चलने वाले लोग ही जिंदगी में मुकाम हासिल करते हैं। मन में सच्ची लगन हो तो प्रतिभा खुदबखुद उजागर होती है। एमबी इंटर कॉलेज ग्राउंड में बुधवार से शुरू हुए सरस मेले में जो स्वरोजगारी अपने उत्पादों को लेकर पहुंचे हैं, उन्होंनेअपनी रचनात्मकता और हौसले से कुछ ऐसा कर डाला कि आत्मनिर्भरता के साथ उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पाद आज एक ब्रांड बन गए हैं।

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    लोहाघाट से लोहा लेकर आए कैलाश

    चम्पावत जिले का लोहाघाट हस्तशिल्प से तैयार की जानी वाली लोहे की कढ़ाई के लिए मशहूर है। लोहाघाट से पूर्णागिरि स्वयं सहायता समूह के कैलाश राम लोहे के बर्तन लेकर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में उन्होंने दिल्ली में आयोजित मेले में शिरकत की। हाथ से तैयार लोहे की कढ़ाई, तवा, करछी वजन में भले ही थोड़ा भारी हों, लेकिन गुणवत्ता के मामले में यह बेजोड़ हैं। साढ़े तीन सौ रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से यह ग्राहकों के लिए उपलब्ध है।

    विदेश में भी खटीमा की टोकरी मांग

    ऊधमसिंह नगर के खटीमा रतनपुर ग्राम से सुरेंद्री राणा मूंज और कासी के घास से बनी टोकरियां लेकर आई हैं। उन्होंने बताया कि उद्योग निदेशालय देहरादून के माध्यम से अभी उन्हें 500 बड़ी और एक हजार छोटी प्लेट का ऑर्डर मिला है। उनके समूह में जुड़ी महिलाएं घर पर ही इन टोकरियां को तैयार करती हैं। इसमें किसी भी तरह के लोहे के तार और धागे का इस्तेमाल नहीं किया जाता। सबसे ज्यादा रोटी रखने के लिए इस्तेमाल होने वाली टोकरियां पसंद की जा रही है।

     

    बांस से बनाए डिजाइन वाले लेडीज पर्स

    आर्टिफिशियल के बजाय ओरीजिनल उत्पाद ग्राहकों को काफी पसंद आते हैं। इसमें हाथ से तैयार किए गए बांस के रेशे और घास से बने लेडीज पर्स, हैंड बैग और मोबाइल बैग बेहद खास हैं। रुद्रपुर उजाला स्वयं सहायता समूह की आरती चितोडिय़ा सरस मेले में विशेष तरह के बांस से बने उत्पाद लेकर आई हैं। इसमें इंग्लिश हैट और कपड़े से बनाए गए अन्य उत्पाद प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि उनका समूह काफी समय से कुछ नया करने की सोच रहा था। फिर बांस से पर्स बनाने का आइडिया आया। थोड़ा रिसर्च किया और इसके बाद यह उत्पाद तैयार हो गया। जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं।

    रेखा ने पहली बार लगाया मेले में स्टॉल

    रामनगर के बैलपड़ाव से पहली बार सरस मेले में स्टॉल लगाने के लिए रेखा गोस्वामी ने पंजीकरण कराया। हरिओम ग्राम संगठन स्वयं सहायता समूह के जरिये रेखा और उनके समूह से जुड़ी महिलाएं सिंथेटिक धागे से बेहद आकर्षक सजावटी आयटम तैयार करती हैं। इसमें वॉल हैंगिंग, छोटे गमले, छोटा-मोटा सामान रखने के लिए जाली वाला हैंगर सहित एक से बढ़कर एक आयटम हैं। उन्होंने बताया कि पहली बार मेले में स्टॉल लगाने पर वह काफी उत्साहित हैं।

    तंदूरी रोटी का स्वाद देगा मिट्टी का तवा

    सरस मेले में पहली बार बिक्री के लिए मिट्टी का तवा लाया गया है। लखनऊ के सैय्यद शाह स्वयं सहायता समूह के मुख्तसर चीनी मिट्टी के बर्तनों के साथ इस बार ग्राहकों के लिए मिट्टी का तवा लेकर पहुंचे हैं। महज 120 रुपये की कीमत वाला तवा ग्राहकों को लुभा रहा है। उन्होंने बताया कि मेले के पहले दिन ही दोपहर तक पांच तवे बिक गए। लोहे के आम तवे की तरह ही इस पर रोटियां बनाई जा सकती हैं। तव्वे के निचले हिस्से में सपोर्ट के लिए लोहे का फ्रेम लगा है। मुख्तसर बताते हैं कि मिट्टी के तवे में बनी रोटियों का स्वाद लोहे के तवे में बनी रोटियों से ज्यादा अच्छा होता है। बिना तंदूर के भी मिट्टी के तवे में बनी रोटी से तंंदूरी रोटी का स्वाद आएगा।

    चित्रकार बनकर मिला रोजगार

    पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी रामनगर की बलविंदर कौर को बचपन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। स्कूल की पढ़ाई छूट गई, लेकिन चित्रकार बनने की लगन और प्रतिभा दोनों हमेशा साथ रही। भूमि स्वयं सहायता समूह के जरिये बलविंदर कौर ने चित्रकारी को ही अपना रोजगार बनाया। वह अब तक दर्जनों पेंटिंग तैयार कर चुकी हैं। उनकी पेंटिंग की खासियत यह है कि वह इसमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करती हैं। साथ ही ज्यादातर पेंटिंग भी पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करती हैं।

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