Haldwani News: 'फाइल' से बाहर निकली छह साल पुरानी रिंग रोड परियोजना, सेक्टर एक व चार में काम किया जाएगा
Ring Road Project 22 अप्रैल 2017 को सीएम बनने के बाद पहली बार नैनीताल जिले में पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रिंग रोड निर्माण की घोषणा की थी। फिर लोनिवि ने सर्वे के बाद कंपनी संग मिलकर प्रोजेक्ट से जुड़ी फाइलों का ढेर लगा दिया। बाद में इसकी चर्चा ही बंद हो गई।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Ring Road Project: 22 अप्रैल 2017 को सीएम बनने के बाद पहली बार नैनीताल जिले में पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रिंग रोड निर्माण की घोषणा की थी। फिर लोनिवि ने सर्वे के बाद कंपनी संग मिलकर प्रोजेक्ट से जुड़ी फाइलों का ढेर लगा दिया। बाद में इसकी चर्चा ही बंद हो गई।
काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस में 24 अगस्त को रिंग रोड की समीक्षा के दौरान सचिव लोनिवि डा. पंकज भट्ट ने कहा कि चार सेक्टर में बंटे इस प्रोजेक्ट के दो सेक्टर में जल्द ही काम शुरू होगा। हल्द्वानी में आबादी और गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
आगे नहीं बढ़ी रिंग रोड की फाइल
पर्यटक वाहनों का दबाव अलग से हैं। ऐसे में 2017 में 51 किमी लंबी रिंग रोड का प्रस्ताव बना था। 1.57 करोड़ रुपये क्राफ्ट कंसलटेंसी कंपनी को फिजिबिलिटी टेस्ट के लिए भुगतान किए गए, लेकिन बाद में मामला फाइलों से आगे नहीं बढ़ सका। अब दोबारा कवायद शुरू होने से कुछ उम्मीद जगी है।
सचिव डा. पंकज पांडे ने बैठक में बताया कि सेक्टर एक में लामाचौड़ से फुटकुआं, दूसरे में गन्ना सेंटर से मोटाहल्दू, तीसरे में मोटाहल्दू से गौलापार होते हुए काठगोदाम तक और चौथे में नरीमन तिराहे से गुलाबघाटी होते हुए ब्यूरा पनियाली व फतेहपुर तक प्रस्तावित है।
सेक्टर एक व चार में पहले होगा काम
सेक्टर एक व चार में काम पहले होगा। तीसरे और चौथे सेक्टर के काम को एनएचएआइ के माध्यम से करवाया जाएगा। क्योंकि, वर्तमान में यह क्षेत्र उसके स्वामित्व में आता है। इस दौरान डीएम वंदना, एडीएम पीआर चौहान, ईई अशोक चौधरी समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
वनभूमि व निजी भूमि की जरूरत
रिंग रोड की राह इतनी आसान नहीं है। घोषणा के समय इसकी लागत 400 करोड़ मानी गई थी। लोनिवि के अनुसार इसके निर्माण में 1822 करोड़ का खर्च आएगा। 2021 में हुए सर्वे में रकम दो हजार करोड़ पार कर गई। बगैर केंद्र की आर्थिक मदद के काम होना मुश्किल है। रिंग रोड के लिए वनभूमि के अलावा निजी भूमि की जरूरत भी है।
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