Haldwani Domicile Fraud: अफसरों के फोन लगाने पर मिला जवाब, 'मैंने तो आवेदन ही नहीं किया'
हल्द्वानी में स्थायी निवास प्रमाणपत्रों के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। जांच में पता चला कि बाहरी लोगों को उत्तराखंडी बनाने के लिए गलत आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया। अफसरों ने जब आवेदकों को फोन किया तो उन्होंने आवेदन करने से ही इनकार कर दिया। इस मामले में अब तक 48 फर्जी प्रमाणपत्र पकड़े गए हैं और उच्च स्तरीय एसआईटी जांच की मांग की जा रही है।

गलत आधार नंबर और फर्जी मोबाइल नंबर डाल बनवा लिए प्रमाणपत्र.Concept Photo
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। स्थायी निवास प्रमाणपत्र के फर्जीवाड़े की परतें खोलने में जुटी अफसरों की टीम को जांच के दौरान चौंकाने वाली बातें पता चल रही है। डेमोग्राफी बदलने में माहिर लोगों ने बाहरी लोगों को उत्तराखंडी बनाने के लिए गलत आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया। ऐसे बिल फाइल में अटैच किए गए। जो पढ़ने में समझ नहीं आ रहे हैं।
यही नहीं जब कुछ लोगों के मोबाइल नंबर जुटाकर अफसरों ने सवाल किया कि कब और किसके माध्यम से प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। जवाब हैरान करने वाला था। पता चला कि इन्होंने स्थायी निवास प्रमाणपत्र के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया था। यानी सर्टिफिकेट किसी और का दस्तावेज कहीं से जुटाए औैर जल्दीबाजी में नंबर दूसरे का डाल दिया।
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के वहां पहुंची एक शिकायत ने हल्द्वानी में स्थायी निवास प्रमाणपत्र के फर्जीवाडे की पोल खोलने में अहम भूमिका निभाई। जिसके बाद ही पुलिस ने फैजान, रईस और दिनेश सिंह को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। मामला सुर्खियां बनने पर शासन स्तर से भी जांच के आदेश जारी हो गए।
हल्द्वानी तहसील से बने प्रमाणपत्र को शहरी और बाहरी क्षेत्र दो हिस्सों में बांट जांच की जा रही है। प्रमाणपत्रों की फाइलों को खंगालते हुए फिलहाल जांच टीम 2्र020 तक पहुंच गई। इन पांच सालों के रिकार्ड चेक करने पर सामने आया कि 48 फर्जी प्रमाणपत्र तैयार हो चुके हैं। गलत तरीके से तैयार प्रमाणपत्रों की फाइलों में गलत आधार नंबर दर्ज थे। पुराने बिजली-पानी के बिल इस हालत में थे कि न उपभोक्ता नंबर समझ आ रहा था न ही नाम-पता। हैरानी यह है कि उसके बावजूद आवेदन स्वीकार हो गया?
फर्जीवाड़े के अलग-अलग मास्टर माइंड ने आवेदन फाइल में गलत मोबाइल नंबर तक चढ़ा रखे थे। इसलिए फोन करने पर लोगों प्रमाणपत्र से ही किनारा कर लिया। अब इस पूरे प्रकरण में उच्च स्तरीय एसआइटी के गठन की जरूरत है। ताकि खेल के असल खिलाड़ी बेनकाब हो सके।
लाइसेंस नैनीताल का सीएससी तहसील के बगल में
प्रशासन की टीम गुरुवार को तहसील के बगल में स्थित खानचंद मार्केट के कामन सर्विस सेंटरों की जांच के लिए पहुंचे थे। भनक लगने पर कई लोगों ने दुकान बंद कर दी। एक सीएससी की जांच में पता चला कि किसी पुष्पेंद्र नाम के व्यक्ति के नाम पर नैनीताल के लिए लाइसेंस जारी हुआ था। लेकिन संचालन हल्द्वानी में किया जा रहा था।
इसके अलावा एक स्टांप वेंडर के पास उस कारोबार के लाइसेंस के तौर पर आइडी जारी होने के बावजूद वह स्टांप बिक्री से जुड़ा काम नहीं कर रहा था। वर्तमान में वह सीएससी सेंटर चलाता मिला। एसडीएम राहुल शाह ने बताया कि पहले मामले में सीएससी लाइसेंस और दूसरे में स्टांप वेंडर का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। चेकिंग अभियान आगे भी जारी रहेगा। टीम में सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान भी शामिल थे।

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