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Haldwani : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वनभूलपुरा के बच्चे बोले - थैंक यू सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वनभूलपुरा के बच्चे हाथ में पोस्टर लेकर बाजार में घूमे। बच्चों ने अपने हाथों में बोर्ड लिए हुए थे। बोर्ड में लिखा हुआ था कि थैंक यू सुप्रीम कोर्ट। उत्तराखंड के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Thu, 05 Jan 2023 05:10 PM (IST)
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Haldwani : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वनभूलपुरा के बच्चे बोले - थैंक यू सुप्रीम कोर्ट

नोएडा, जागरण ऑनलाइन टीम। उत्तराखंड के हल्द्वानी के करीब 50 हजार लोगों को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि रातों-रात 50 हजार लोगों को नहीं उजाड़ा जा सकता है। मामले में अगली सुनवाई अब 7 फरवरी को होगी।

वनभूलपुरा के बच्चे हाथ में पोस्टर लेकर घूमे

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वनभूलपुरा के बच्चे हाथ में पोस्टर लेकर बाजार में घूमे। बच्चों ने अपने हाथों में बोर्ड लिए हुए थे। बोर्ड में लिखा हुआ था कि थैंक यू सुप्रीम कोर्ट। उत्तराखंड के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

वकील लुबना नाज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि उस जमीन पर कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं, जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।

हर किसी ने सड़कों पर उतरकर मांगी दुआएं

नए साल के जश्न का मौका था। हर कोई दो साल बाद नए साल को खास बनाने तैयारियां कर रहा था, लेकिन बनभूलपुरा के सैंकड़ों बच्चे, महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग कंपकंपाती ठंड में आशियाना बचाने के लिए सड़कों पर अल्लाह से दुआ मांग रहे थे। दिल में चिंता व आंखों पर आंसुओं का सैलाब था, मगर अब सुप्रीम फैसले के बाद चिंता, डर व आंसू खुशी में बदल गए।

50 हजार लोगों के घरों को बचाने के लिए उनके पैरोकार आगे आए। हाईकोर्ट के फैसले और प्रशासन की तैयारियों ने लोगों के दिल में डर पैदा कर दिया था। लोगों की नींद उड़ गई थी। खाने का निवाला भी गले से नहीं उतर रहा था। सुप्रीम कोर्ट से पांच जनवरी की तारीख मिलने पर उम्मीद की किरण दिखाई दी। फिर क्या था दुआओं का सिलसिला शुरू हो गया। सड़कों पर नमाज अदा होने लगी।

बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग हर कोई सड़कों पर अल्लाह से एक ही दुआ कर रहा था, हे अल्लाह! रहमो करम बरसाना और मुसीबत को टालना। किसी के सिर से छत न जाए। मानों गुरुवार को उनकी दुआ कबूल हो गई।

अतिक्रमण टूटने पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलते ही लोगों ने सुकून महसूस किया और अल्लाह का शुक्रगुजार कर भारत माता की जय का उद्घोष किया। लोगों का कहना था कि उन्होंने कई दिनों से न तो भरपेट खाना खाया और न ही सो पाए थे। आज भरपेट खाना खाकर सोएंगे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की पूरी उम्मीद थी। उन्होंने अपने पैरोकारों का भी शुक्रगुजार किया है।

सुप्रीम आदेश के बाद बनभूलपुरा में जश्न

बनभूलपुरा में अतिक्रमण तोड़ने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलते ही बनभूलपुरा में जश्न का माहौल रहा। लोग देर शाम तक एक-दूसरे को बधाई देते रहे। चिराग अली शाह बाबा की दरगाह पर शुक्रिया दुआएं पढ़ी गईं। महिलाओं व बच्चों ने घरों में दुआ पढ़कर अल्लाह का आभार जताया। हाईकोर्ट के आदेश से बनभूलपुरा के 4365 परिवारों के तकरीबन 50 हजार लोग दहशत में थे।

समाचार पत्रों में सामूहिक नोटिस जारी होने व मुनादी के बाद मानों लोगों की नींद उड़ गई थी। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पर बनभूलपुरा के अलावा पूरे शहर व देश की निगाहें टिकी रहीं। बनभूलपुरा के लोग सुबह 10 बजे से ही टीवी व मोबाइलों पर टकटकी लगाए हुए थे। घरों की सलामती के लिए दुआएं भी पढ़ जा रही थीं। दोपहर एक बजे के बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। जैसे ही अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण पर शीर्ष कोर्ट ने स्टे लगाया तो लोग खुशी से झूम उठे।

बनभूलपुरा की लाइन नंबर 17 में लोगों का जमावड़ा लग गया। लोगों ने भारत माता की जय का उद्घोष किया। अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए सैकड़ों हाथ आसमान की तरफ उठ गए। चिराग अली शाह बाबा की दरगाह पर दुआएं पढ़ीं गईं। बनभूलपुरा चौकी के पास लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।

लोगों का कहना था कि मुनादी के बाद जैसे-जैसे समय बीत रहा था। उनकी नींद व भूख भी कम हो गई थी। भविष्य की चिंता सता रही थी। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्हें बचाने के लिए कोई पैरवी नहीं की। महिलाओं का कहना था कि उन्हें अल्लाह व सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी। सुप्रीम कोर्ट ने हजारों लोगों की हित में फैसला सुनाया है।

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