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केदार घाटी में फिर करें शवों की तलाश: हाई कोर्ट

केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों के शवों का दाह संस्कार से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अहम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 20 Dec 2017 08:16 PM (IST)Updated: Wed, 20 Dec 2017 09:53 PM (IST)
केदार घाटी में फिर करें शवों की तलाश: हाई कोर्ट
केदार घाटी में फिर करें शवों की तलाश: हाई कोर्ट

नैनीताल, [जेएनएन]: नैनीताल उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा में लापता लोगों की फिर से तलाश करने को कहा है। अदालत ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  (एसएसपी) स्तर के पांच अफसरों की टीम गठित करने को कहा है। इसके अलावा छह माह में चार धाम मार्गों के लिए मास्टर प्लान के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रियों की संख्या नियंत्रित करने के भी निर्देश दिए हैं।

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 दिल्ली के रहने वाले आचार्य अजय गौतम ने इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ आपदा में 3500 लोगों को लापता बताया गया है, जबकि सरकार केवल 450 शव ही खोज सकी है। 19 नवंबर 2016 को याचिका पर सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार को लावारिस शवों के  दाह संस्कार कराने के निर्देश दिए थे। इस बारे में राज्य सरकार ने न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत कर स्पष्ट किया कि आपदा में करीब चार हजार लापता हुए थे और अब तक 678 शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है।

 बुधवार को मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने निर्देश दिए कि पांच अफसरों की टीम एक बार फिर केदार घाटी का निरीक्षण करे और मिलने वाले शवों का डीएनए सुरक्षित रख रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करे। अदालत ने आदेश दिए कि देवप्रयाग, सोनप्रयाग, ऋषिकेश, बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग और गोपेश्वर में अतिक्रमण को चिह्नित कर छ: माह मास्टर प्लान बनाया जाए। 

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार से अदालत के महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों पर निर्धारित समयावधि में क्रियान्वयन करेगी। मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने बताया कि हाई कोर्ट ने चारधाम समेत अन्य स्थानों के पर्यावरण व अन्य बिन्दुओं को लेकर अहम दिशा-निर्देश दिए हैं। सरकार की ओर से अधिकांश पर कार्रवाई की जा चुकी है।

अदालत के दिशा-निर्देश

- छह माह में जीआइएस सर्वे पर आधारित मास्टर प्लान बनाएं, सरकार की तीन साल में बनाने की दलील खारिज

-तीन माह में चारधाम क्षेत्र में एडवांस चेतावनी सिस्टम, डॉप्लर रडार, ओटोमेटेड वेदर सिस्टम बनाएं

-सभी स्थानों पर बायोमेट्रिक/फोटोमेट्रिक मशीन लगाई जाए

-देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, सोनप्रयाग व बदरीनाथ क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट-2000 लागू किया जाए

-चारधाम समेत हेमकुंड साहिब में हर दस किमी में आसरा निर्माण किया जाए 

-चारधाम व हेमकुंड साहिब में हर दस किमी दायरे में इमरजेंसी स्टोर बनाया जाए, जिसमें कम्बल, चादर, राशन, गैस, दूध भरपूर मात्रा में हो। सरकार की ओर से बताया गया कि केएमवीएन व जीएमवीएन को सौंपा है जिम्मा।

-सभी निकायों में सॉलिड वेस्ट रुल्स बनाएं, सरकार ने कहा सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी। कोर्ट ने मुख्य नदी व सहायक नदियों के एक किमी दायरे में कूड़ा डंप करने पर पाबंदी लगाई

अदालत की टिप्पणी

'केदारनाथ में 2013 की त्रासदी की अनदेखी नहीं कर सकती, जिसमें हजारों लोग मारे गए, जख्मी हुए और गायब हुए। ऐसे में सरकार को अब रिजनेबल रुपये में सबका बीमा कवर देना चाहिए, इससे जो फंड जुटेगा, उसे चारधाम क्षेत्र के विकास में खर्च किया जाए। केदारनाथ मामले में सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई है, जिसकी अदालत प्रशंसा करती है। कोर्ट इस मामले में महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल राकेश थपलियाल व अन्य अधिवक्ताओं के योगदान की सराहना करती है।'

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