कैट के आदेश को रद करने को नैनीताल हाई कोर्ट पहुंची भारत सरकार, यह है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने कैट के सात साल पुराने आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सरकार ने आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामले में कैट द्वारा जारी अवमानना नोटिस को भी रद्द करने की मांग की है। अटॉर्नी जनरल ने सरकार की ओर से बहस की कैट के आदेश को चुनौती दी। संजीव चतुर्वेदी ने एपीएआर को डाउनग्रेड किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण के सात साल पुराने आदेश को रद करने के लिए भारत सरकार ने हाई कोर्ट का दरबाजा खटखटाया है। याचिका में कैट की ओर से इस साल 25 मई को आइएफएस संजीव चतुर्वेदी की याचिका में सुनवाई के बाद केंद्र को जारी अवमानना नोटिस को भी रद करने की मांग की गई है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान भारत सरकार के कैबिनेट सचिव की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने बहस की। उन्होंने मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी के मामले में कैट के सात वर्ष पुराने आदेश को रद करने करने की मांग करते हुए बहस की। याचिका में कैट की नैनीताल सर्किट बैंच की ओर से इस साल 25 मई को उनके विरुद्ध जारी किए गए अवमानना नोटिस को भी रद करने की मांग की।
दरअसल 16 अप्रैल 2018 को केंद्र सर्किट बैंच ने तत्कालीन कैबिनेट सचिव की ओर से दायर प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था, जो आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की वर्ष 2015-16 की वार्षिक गोपनीय मूल्यांकन रिपोर्ट में की गई डाउन ग्रेडिंग से संबंधित थी। यह मामला तब का है, जब चतुर्वेदी जून 2012 से जून 2016 तक दिल्ली एम्स में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात थे।
कैबिनेट सचिव की ओर से याचिका दायर कर 23 फरवरी 2023 को पारित आदेशों को भी रद करने की मांग भी की है। जिसमें कैट ने कैबिनेट सचिव, स्वास्थ्य सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयोग और एम्स दिल्ली को संजीव चतुर्वेदी की ओर से मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।
कैबिनेट सचिव के साथ-साथ कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव की ओर से भी एक याचिका दायर की गई। जिसमें कोर्ट से प्रार्थना की कि कैट में संजीव चतुर्वेदी की ओर से दायर मूल वाद में पक्षकारों की सूची से कैबिनेट सचिव का नाम हटाकर, उसकी जगह केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण सचिव का नाम शामिल किया करने का अनुरोध किया है।
अपनी वार्षिक गोपनीय मूल्यांकन रिपोर्ट को डाउनग्रेड किए जाने के विरुद्ध संजीव चतुर्वेदी ने जुलाई 2017 में कैट की नैनीताल सर्किट पीठ में याचिका दायर की थी। सितंबर 2017 में कैट ने उनकी एपीएआर को डाउनग्रेड करने के आदेश की क्रियान्वयन और प्रभाव पर रोक लगा दी थी। संजीव का आरोप था कि एम्स में कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ नौकरशाहों और डॉक्टरों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले बंद कर दिए गए। मामलों में की गई कार्रवाई के प्रतिशोध में उनकी एपीएआर को जानबूझकर डाउनग्रेड किया गया।
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