पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास व भत्ते माफ करने के मामले में फंसी सरकार
सरकार की ओर से हाई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान शपथ पत्र देकर कैबिनेट में बकाया किराया माफ करने का उल्लेख किया गया था, जबकि सोमवार को पेश नए हलफनामे में इसका उल्लेख ही नहीं है।
नैनीताल, जेएनएन : पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास व भत्ते माफ करने के मामले में सरकार फंस गई है। सरकार की ओर से हाई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान शपथ पत्र देकर कैबिनेट में बकाया किराया माफ करने का उल्लेख किया गया था, जबकि सोमवार को पेश नए हलफनामे में इसका उल्लेख ही नहीं है। अब याचिकाकर्ता ने सरकार पर झूठा हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में इसकी शिकायत करने की बात कही है।
रूरल एनटाइटिलमेंट एंड लिटिगेशन केंद्र देहरादून के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने व अब तक का किराया बाजार दर से वसूलने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 13 करोड़ बकाया होने का आंकलन किया था। 13 फरवरी को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दो करोड़ 85 लाख बकाया माफ करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने शपथ पत्र के साथ कैबिनेट फैसले की प्रति प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ में सुनवाई होनी थी, जो अब मंगलवार को होगी, मगर इस दौरान सरकार की ओर से हलफनामा पेश किया गया। इसमें कहा गया है कि कैबिनेट ने बकाया किराया माफ करने का निर्णय नहीं लिया है, बल्कि उच्च न्यायालय से इसके लिए आग्रह करने का निर्णय लिया है। साफ है कि सरकार ने गेंद पूरी तरह कोर्ट के पाले में डाल दी है। इधर, याचिकाकर्ता अवधेश कौशल का कहना है कि एक ओर बजट के अभाव में देश की सेना का आधुनिकीकरण नहीं हो रहा है। सेना के वाहन बेहद खराब हालत में हैं, मगर सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया माफ कर रही है।
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