Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    14 साल बाद उत्तराखंड के जलाशयों में फिर दिखी गोल्डन महाशीर की चमक, 2010 में घोषित किया गया था विलुप्तप्राय

    Updated: Fri, 13 Sep 2024 10:44 AM (IST)

    Golden Mahseer Fish उत्तराखंड की राज्य मछली गोल्डन महाशीर को विलुप्ति से बचाने में शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल को बड़ी सफलता मिली है। 14 साल बाद इस मछली को फिर से नवजीवन मिला है। निदेशालय ने सिक्किम मेघालय और केरल को गोल्डन महाशीर के 65 हजार फिंगर लिंग उपलब्ध कराए हैं। अरुणाचल प्रदेश को भी 40 हजार देने की तैयारी है।

    Hero Image
    उत्तराखंड में विलुप्तप्राय हो चुकी राज्य मछली फिर वजूद में आ गई। जागरण

    खेमराज वर्मा, भीमताल। विज्ञानियों के अनुसंधानों से विलुप्तप्राय हुई राज्य मछली को 14 साल बाद फिर नवजीवन मिला है। जिसकी वजह से अब उत्तराखंड के जलाशयों में गोल्डन महाशीर की चमक दिखने लगी है।

    वजूद बचाए रखने के लिए शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल ने सिक्किम, मेघालय और केरल को गोल्डन महाशीर के 65 हजार फिंगर लिंग उपलब्ध करा चुका है। अरुणाचंल प्रदेश को भी 40 हजार देने की तैयारी में है।

    वहीं निदेशालय के विज्ञानी हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य-प्रदेश व जम्मू एंड कश्मीर के मत्स्य विज्ञानियों को प्रशिक्षण देकर स्वर्ण मछली की वंश वृद्धि के मंत्र भी दिए हैं।

    विश्व भर में जीव, जंतुओं, धरोहरों के संरक्षण की स्थिति के प्रबंधन में सुधार एवं कमियों का सर्वे कर सूची जारी करने वाली इंटरनेशनल यूनियन फोर कंजर्वेटिव आफ नेचुरल (आइयूसीएन) ने वर्ष 2010 में उत्तराखंड राज्य मछली गोल्डेन महाशीर के प्रदेश में विलुप्तप्राय होने की घोषणा की थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके बाद शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल के विज्ञानी राज्य मछली की वंश वृद्धि के लिए अनुसंधान में जुट गए थे। तरह-तरह के परीक्षण एवं तापमान में बदलाव करते हुए उन्होंने मछली का वंश बढ़ाने के तरीके जानने में सफलता हासिल कर ली। जिसकी वजह से प्रदेश में विलुप्तप्राय हो चुकी राज्य मछली फिर वजूद में आ गई।

    गोल्डेन महाशीर की लंबाई लगभग नौ फिट एवं वजन 54 किलोग्राम तक होता है। इस मछली की मांग देश के कई प्रदेशों में है। निदेशालय ने सिक्कम को 40 हजार, मेघालय 15 हजार और केरल को 10 हजार गोल्डेन महाशीर के फिंगरलिंग दिए हैं।

    साथ ही उत्तराखंड में नदियों, झीलों व प्राकृतिक जल स्त्रोतों में लाखों फिंगर लिंग को पलने के लिए छोड़ा जा चुका हैं। इसके शिकार को प्रतिबंधित किया जा चुका है। भीमताल हैचरी में नई तकनीकी से बारह महीने गोल्डन महाशीर के बीच का उत्पादन किया जा रहा है।

    इन वजहों से मिट गया था वजूद

    निदेशालय के वरिष्ठ विज्ञानी डा. मो. शाहबाज अख्तर ने बताया कि प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जरूरत से ज्यादा शिकार एवं जलीय माहौल में बदलाव होने की वजह से गोल्डेन महाशीर के विलुप्त होने का मुख्य कारण था।

    साइप्रिनिड गोल्डेन महाशीर में मनोरंजन, विरासत, सांस्कृतिक और खाद्य मूल्य विद्यमान होने की वजह से राज्य मछली घोषित है। हमारे विज्ञानियों की टीम ने विभिन्न प्रकार के शोध, तापमान में बदलाव कर विलुप्त हो चुकी इस मछली को फिर से अस्तित्व लाया गया है।

    - प्रमोद कुमार पांडेय, निदेशक, शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल

    comedy show banner
    comedy show banner