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    जीवन में कभी स्कूल का मुह तक देखने वाली बुजुर्ग महिलाओं को साक्षर बना रहीं हैं गायत्री

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 01 Dec 2020 03:43 PM (IST)

    पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती। आपने यह कई बार सुना होगा लेकिन रुद्रपुर के संजयनगर क्षेत्र की कुछ बुजुर्ग महिलाओं ने इसे साबित कर दिखाया है। उम्र के ...और पढ़ें

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    जीवन में कभी स्कूल का मुह तक देखने वाली बुजुर्ग महिलाओं को साक्षर बना रहीं हैं गायत्री

    रुद्रपुर, जेएनएन : पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती। आपने यह कई बार सुना होगा लेकिन, रुद्रपुर के संजयनगर क्षेत्र की कुछ बुजुर्ग महिलाओं ने इसे साबित कर दिखाया है। उम्र के कई दशक पार कर चुकीं इन बुजुर्ग महिलाओं ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा था। अब साक्षरता का महत्व समझ में आया तो शिक्षिका गायत्री से पढ़ने की इच्छा जाहिर की और पढ़ाई शुरू कर दी। साथ हरी कसम खाई है कि उनके परिवार में या आसपास कोई अनपढ़ न रहे इसके लिए अन्य महिलाओं को जागरूक भी करती हैं।

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    राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका गायत्री पांडेय ने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष क्लासेज की शुरुआत की है। गर्मी की छुट्टियों में इन बच्चों को विशेष रूप से पढ़ाते हैं। लाकडाउन के समय स्कूल कालेज बंद होने से बच्चों के घर-घर गांव तक जाकर पढ़ाने लगी। इस दौरान कुछ बुजुर्ग महिलाओं ने भी उनसे शिक्षा लेने के लिए ठान ली। और अपनी इच्छा जाहिर की। जिसके बाद वे स्वयं तो पढ़ती ही हैं साथ ही शिक्षा का महत्व औरों काे भी बताकर साथ ले आती हैं। खेड़ा क्षेत्र की 70 वर्षीय वृद्धा शांति ने कभी स्कूल की मुंह तक नहीं देखा था।

     

    घरवालों ने बचपन से ही खेतों के काम में लगा दिया गया। उसके लिए स्कूल जाना सिर्फ समय की बर्बादी थी। कुछ दिन पहले गांव की गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए जाते देखा तो जानकारी मिली। हैरानी तब हुई जब उसी गांव की 55 वर्षीय अनपढ़ महिला ऊषा को शांति ने कागज पर कुछ लिखते हुए देखा। यहां से बदलाव शुरू हुआ। इसके बाद से सात माह में कई महिलाओं ने नाम पता लिखना सीख लिया है। अब जोड़ घटाव करने में जुट गई हैं। शिक्षा मिलने के बाद खुश हैं और क्षेत्र की दूसरी महिलाओं को भी पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

     

    शिक्षिका गायत्री पांडेय ने बताया कि बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिनमें पढ़ने की इच्छा होने के बाद भी परिस्थितियों और माहौल के चलते नहीं पढ़ सकी। अब उन्हें मौका मिल रहा है तो वे खुद को पढ़ाई करने के लिए घर का सारा काम समय से निपटाकर पढ़ने के लिए तैयार रहती हैं। बहुत सी ऐसी भी महिलाएं हैं जो नाम पता लिखना सीखकर घर पर हैं।

     

    वर्तमान में 36 वृद्धा एवं महिलाएं ले रहीं शिक्षा

    गायत्री ने इसके पहले भी 52 महिलाओं को शिक्षा दे चुकी हैं। वर्तमान वीह 36 महिलाआें को शिक्षा दे रही हैं। जिनमें से 25 अधेड़ एवं वृद्ध महिलाएं हैं। पढ़ाई के साथ ही से आस पास लोगों को साक्षर बनने के लिए जागरूक भी करती हैं।

     

    पहली बार कागज अौर कलम हाथ में लेकर खुशी की ठिकाना न रहा

    शांति, ऊषा और गीता ने इस उम्र में कागज और कलम हाथ में आया तो उनकी खुशी का ठिकाना न था। शांति बताती हैं कि पहले कभी उन्होंने पढ़ाई नहीं की। लेकिन लिखने पढ़ने का शौक बहुत था। बताया कि अब वह नाम लिखना सीख चुकी हैं। अब वह अनपढ़ नहीं रह गई।

     

    बहन जी... पढ़ने के बाद नौकरी मिलेगी

    गायत्री दो तीन बैच बनाकर उनके घर जाकर पढ़ाती हैं। 70 वर्षीय वृद्धा शांति ने ककहरा और नाम पता लिखना सीख लिया तो शिक्षिका से पढ़ाई के बाद नौकरी लगने के बारे में पूछा। लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें इस बार से ही संतोष है कि अब कोई अंगूठा लगाकर उनके साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकेगा।