गौला बैराज की मरम्मत के प्रस्ताव को अब तक शासन ने नहीं दी स्वीकृति
गौला बैराज की मरम्मत के प्रस्ताव को अब तक शासन ने स्वीकृति नहीं दी है। बैराज को नुकसान पहुंचने से रोजाना एक करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
हल्द्वानी, जेएनएन : गौला बैराज की मरम्मत के प्रस्ताव को अब तक शासन ने स्वीकृति नहीं दी है। बैराज को नुकसान पहुंचने से रोजाना एक करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। वहीं, सिंचाई विभाग को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाएगी। इसी के चलते विभाग ने मरम्मत के लिए ई-टेंडङ्क्षरग प्रक्रिया शुरू कर दी है। बुधवार को महकमा टेंडर खोलेगा।
गौला बैराज पर हल्द्वानी शहर व ग्रामीण के साथ ही गौलापार क्षेत्र की पेयजल व सिंचाई व्यवस्था निर्भर है। मरम्मत के अभाव में बैराज काफी जर्जर हो चुका है। इससे रोजाना करीब एक करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। गर्मियों में पानी की बर्बादी नहीं रुकी तो पेयजल व सिंचाई के लिए संकट पैदा हो सकता है। पानी की इस बर्बादी को रोकने को वर्ष 2018 के जून में बैराज मरम्मत का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। प्रस्ताव पर कई बार आपत्तियों की वजह से यह सिंचाई विभाग के पास वापस आ गया। सभी आपत्तियों को दूर कर दो माह पहले 4.73 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। अफसरों के मुताबिक इस धनराशि से बैराज के डाउन स्ट्रीम मे ग्रेनाइड स्टोन बिछाने के साथ ही ब्लॉक बदलने, ब्लॉक मरम्मत व गेट मरम्मत के काम होने हैं।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता तरुण कुमार बंसल ने बताया कि बैराज मरम्मत के प्रस्ताव को अब तक शासन से वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। वहीं, अगले माह लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने की संभावना के मद्देनजर बैराज मरम्मत की टेंडङ्क्षरग प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। बुधवार को टेंडर खोले जाएंगे। उम्मीद है कि जल्द मरम्मत के लिए वित्तीय स्वीकृति मिलेगी। इससे आचार संहिता लगने पर भी काम शुरू हो जाएगा।
बोल्डरों का बोझ झेलने में सक्षम ग्रेनाइट पत्थर
सिंचाई विभाग के अफसरों के मुताबिक गौला नदी में बरसात के दौरान भारी मात्रा में सिल्ट आने के साथ ही बोल्डर बहकर आते हैं। ये बोल्डर बैराज के डाउन स्ट्रीम में लगे पत्थरों से टकराते हैं। सीमेंट व कंक्रीट ब्रीक इन पत्थरों की मार झेलने में सक्षम नहीं होती। जबकि ग्रेनाइट पत्थर काफी मजबूत होता है और बोल्डरों से टकराने के बाद भी सालों तक सुरक्षित रहता है।
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