एप डाउनलोड फ्रॉड: पुलिस के हत्थे चढ़ा खाता खाली करने वाला गिरोह, ऐसे बनाते थे शिकार
पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो ऐप डाउनलोड करने का लालच देकर लोगों के बैंक खाते खाली कर देता था। पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ जारी है। यह गिरोह फोन या मैसेज के माध्यम से लोगों को फंसाता था। पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

चेकिंग के दौरान दोगांव के पास से पुलिस ने साइबर ठगों को पकड़ लिया। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। वाट्सएप या फेसबुक पर किसी एप को डाउनलोड करने के लिए अनजान नंबरों से आए लिंक संदेश पर क्लिक करने से आपका मोबाइल किसी दूसरे के हाथ का खिलौना बन सकता है। इसके बाद ओटीपी मालूम करने से लेकर कीपैड पर क्या टाइप किया जा रहा है, यह जानना भी संभव नहीं।
नैनीताल पुलिस ने जिस साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया है, उसके काम करने का तरीका यही है। फिलहाल पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्राथमिक जांच में ही दो खातों से 3.37 करोड़ का लेनदेन सामने आ गया। अभी नौ खातों की जांच होना बाकी है। साइबर ठगी से जुडे़ और राज उगलवाने के लिए आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।
पुलिस बहुद्देश्यीय भवन में प्रेसवार्ता के दौरान एसएसपी मंजुनाथ टीसी ने बताया कि शनिवार रात एसओ तल्लीताल मनोज नयाल पुलिसकर्मियों के साथ वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। दोगांव के पास हरियाणा नंबर की कार एचआर 98 पी-1642 के अंदर बैठे चार युवक आपस में विवाद करते नजर आए।
मामला संदिग्ध लगने पर गाड़ी की तलाशी ली गई तो 11 मोबाइल फोन, नौ सिमकार्ड के अलावा चेकबुक, आधार कार्ड और पैनकार्ड भी बरामद हुए। पूछताछ में युवकों ने अपना नाम शुभम गुप्ता पुत्र संजीव गुप्ता निवासी कालाकुआं हाउसिंग बोर्ड अलवर राजस्थान, पीयूष गोयल पुत्र संजय गोयल निवासी पुख्ता बाजार थाना जहांगीराबाद जिला बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, ऋषभ कुमार पुत्र दीपक कुमार निवासी गली नंबर दो कृष्णापुरी मोदीनगर जिला गाजियाबाद और मोहित राठी पुत्र स्व. श्रीराम राठी निवासी न्यू रेलवे रोड महावीरपुरा गुरुग्राम सेक्टर पांच बताया।
पुलिस के अनुसार युवक साइबर ठगी गिरोह चलाते थे। लोगों के मोबाइल नंबर हासिल करने के बाद वाट्सएप पर या फेसबुक के माध्यम से एपीके फाइल भेजी जाती थी, जिसे खोलने पर लोगों को किसी एप या वीडियो को डाउनलोड करने के लिए कहा जाता था। इसके बाद जो भी झांसे में आया उसके फोन का एक्सेस इन्हें हासिल हो जाता था। एक्सेस मिलने पर ओटीपी समेत दूसरे के मोबाइल से जुड़ी अन्य जानकारी इनके पास पहुंच जाती थी। जिसके बाद खाता खाली कर उस रकम को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर दिया जाता था।
तीन में से एक क्यूआर कोड पहले से फर्जीवाड़े में इस्तेमाल
गिरफ्तार युवकों के पास से तीन क्यूआर कोड भी मिले हैं। इनके माध्यम से खाते में पैसे डाले जाते थे। शुश्रुआती जांच में पता चला कि दिल्ली के शाहदरा थाने में पूर्व में साइबर ठगी से जुड़ा एक मामला सामने आया था जिसकी जांच के दौरान इनमें से एक क्यूआर कोड का इस्तेमाल भी हुआ था।
पुलिस से बचने को अलग-अलग खातों में डलवाते थे पैसे
मोबाइल से संचालित इस ठगी के धंधे में पैसे लेने के लिए किसी एक खाते का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि अलग-अलग लोगों के अकाउंट में पैसे डलवाए जाते थे। जिसके खाते में पैसे आएंगे। उसे कुछ हिस्सा देकर बाकी रकम ले ली जाती थी।

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