हरियाली के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध उत्तराखंड के जंगल आग की घटनाओं के कारण सिकुड़ रहे
आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन से लेकर पिछले साल तक हुई वनाग्नि की घटनाओं से 38791 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान साल 2003 में 4983 हेक्टेयर हुआ।
हल्द्वानी, जेएनएन : हरियाली व साफ हवा के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध उत्तराखंड के जंगल आग की घटनाओं से सिकुड़ रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन से लेकर पिछले साल तक हुई वनाग्नि की घटनाओं से 38791 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान साल 2003 में 4983 हेक्टेयर हुआ। जबकि 2011 में सबसे कम 231 हेक्टेयर जंगल ही वनाग्नि की भेंट चढ़ा। बात अगर पर्यावरणीय क्षति की करें तो वन विभाग को साढ़े 18 करोड़ का नुकसान भी उठाना पड़ा।
प्रदेश के 71 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है। ऐसे में जंगल की सुरक्षा बड़ी चुनौती है। गर्मियों की शुरूआत के साथ वन विभाग को डर सताने लगता है। क्योंकि इस दौरान फॉरेस्ट फायर की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। लिहाजा 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फायर सीजन माना जाता है। जंगलात हर बार वनाग्नि की घटनाओं को लेकर पूर्व सतर्कता बरतता है। उसके बावजूद घटनाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही। तिकोनिया निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता हेमंत गौनिया द्वारा लगाए सूचना अधिकार के तहत राज्य गठन से लेकर अब तक हुई घटनाओं व बचाव में किए गए उपायों का ब्यौरा मांगा था।
वर्षवार नुक्सान
साल प्रभावित जंगल हेक्टेयर
2000 925
2001 1393
2002 3231
2003 4983
2004 4850
2005 3652
2006 562
2007 1595
2008 2369
2009 4115
2010 1610
2011 231
2012 2826
2013 384
2014 930
2015 701
2016 4433
2017 1244
2018 4480
सिर्फ 15 लोग गिरफ्तार
सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी के मुताबिक अब तक कुल 15 लोगों को जंगल में आग लगाने के आरोप में फॉरेस्ट ने गिरफ्तार किया है। 2016 में आठ व 2018 में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।