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    हरियाली के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध उत्‍तराखंड के जंगल आग की घटनाओं के कारण सिकुड़ रहे

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 24 Apr 2019 04:53 PM (IST)

    आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन से लेकर पिछले साल तक हुई वनाग्नि की घटनाओं से 38791 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान साल 2003 में 4983 हेक्टेयर हुआ।

    हरियाली के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध उत्‍तराखंड के जंगल आग की घटनाओं के कारण सिकुड़ रहे

    हल्द्वानी, जेएनएन : हरियाली व साफ हवा के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध उत्तराखंड के जंगल आग की घटनाओं से सिकुड़ रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन से लेकर पिछले साल तक हुई वनाग्नि की घटनाओं से 38791 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान साल 2003 में 4983 हेक्टेयर हुआ। जबकि 2011 में सबसे कम 231 हेक्टेयर जंगल ही वनाग्नि की भेंट चढ़ा। बात अगर पर्यावरणीय क्षति की करें तो वन विभाग को साढ़े 18 करोड़ का नुकसान भी उठाना पड़ा।
    प्रदेश के 71 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है। ऐसे में जंगल की सुरक्षा बड़ी चुनौती है। गर्मियों की शुरूआत के साथ वन विभाग को डर सताने लगता है। क्योंकि इस दौरान फॉरेस्ट फायर की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। लिहाजा 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फायर सीजन माना जाता है। जंगलात हर बार वनाग्नि की घटनाओं को लेकर पूर्व सतर्कता बरतता है। उसके बावजूद घटनाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही। तिकोनिया निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता हेमंत गौनिया द्वारा लगाए सूचना अधिकार के तहत राज्य गठन से लेकर अब तक हुई घटनाओं व बचाव में किए गए उपायों का ब्यौरा मांगा था।

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    वर्षवार नुक्सान

    साल   प्रभावित जंगल हेक्टेयर

    2000  925

    2001  1393

    2002  3231

    2003  4983

    2004  4850

    2005  3652

    2006   562

    2007   1595

    2008   2369

    2009   4115

    2010   1610

    2011   231

    2012   2826

    2013   384

    2014   930

    2015   701

    2016   4433

    2017   1244

    2018   4480

    सिर्फ 15 लोग गिरफ्तार

    सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी के मुताबिक अब तक कुल 15 लोगों को जंगल में आग लगाने के आरोप में फॉरेस्ट ने गिरफ्तार किया है। 2016 में आठ व 2018 में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया।