पहले नमक से किरकिरी अब गरीब के हिस्से की 'मिठास' भी गायब, अंत्योदय कार्डधारक परेशान
नैनीताल में गरीबों को पहले नमक में मिलावट का सामना करना पड़ा, और अब उन्हें सब्सिडी वाली चीनी भी नहीं मिल रही है। इससे उनकी आर्थिक मुश्किलें और बढ़ गई ...और पढ़ें

विभाग इस मिशन को पूरा करने में पिछड़ता नजर आ रहा है। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। वैसे तो खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मिशन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल, गेहूं, चीनी और नमक की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह पंक्ति विभाग की वेबसाइट पर भी सबसे पहले नजर आती है, लेकिन इन दिनों विभाग इस मिशन को पूरा करने में पिछड़ता नजर आ रहा है।
नमक में रेत की मिलावट की पुष्टि होने के बाद इसकी आपूर्ति रोक दी गई है, दिसंबर का चावल गोदामों में नहीं पहुंच पाया है और एक साल से ज्यादा समय से राशन की दुकानों तक चीनी नहीं पहुंची है। सरकार का समाज के सबसे गरीब और वंचित व्यक्ति के उत्थान का लक्ष्य है। इसको ध्यान में रखते हुए ऐसे गरीब परिवारों को अंत्योदय कार्ड दिए गए हैं। इनको 35 किलो प्रतिमाह खाद्यान्न दिया जाता है, जिसमें 21.700 किलो चावल और 13.300 किलो गेहूं दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त नमक और चीनी भी दी जाती है। लेकिन इस समय गरीब के हिस्से न सस्ती चीनी है न नमक। पिछले महीने आयोडाइज्ड नमक पर किरकिरी होने के बाद इसके उठान पर रोक लगा दी गई थी। नमक में रेत की मिलावट की शिकायत आई थी और कई लोग यह नमक जानवरों को खिला रहे थे। इसके बाद रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में इसकी जांच हुई थी, जिसमें 10 सैंपल फेल हुए थे। इनमें अघुलनशील तत्व मिला था। इसके पीछे ठीक तरह से रिफाइंडिंग नहीं होने की बात सामने आई थी।
इसी तरह चीनी की बात करें तो आखिरी बार अक्टूबर 2024 में राशन विक्रेताओं को अंत्योदय कार्डधारकों को बांटने के लिए एक साथ छह महीने की चीनी मिली थी। तब से एक वर्ष से अधिक बीत गया है, लेकिन इसके बाद चीनी की आपूर्ति नहीं हुई है।
अंत्योदय कार्डधारकों को एक किलो प्रतिमाह चीनी दी जाती है, जो 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से गरीबों को मिलती है। जबकि बाजार में चीनी का फुटकर रेट 44 से 48 रुपये किलो तक है। चीनी की आपूर्ति नहीं हो पाने के पीछे की वजह शुगर मिल मालिकों से रेट को लेकर सहमति नहीं हो पाना है। शुगर मिल मालिकों को चीनी की खरीद के लिए पुरानी दर से एडवांस पेमेंट की गई है, लेकिन उनका तर्क है कि रिवाइज की गई दरों के हिसाब से खरीद की जाए।
सालभर पहले चीनी मिली थी। ऐसे ही पहले जो नमक मिला था, वो तो इतना खराब था कि जानवरों को खिलाना पड़ा। - जगदीश चंद्र पांडे
सस्ती चीनी मिलती थी तो महीनेभर का काम चल जाता था। वैसे ही इतनी महंगाई हो रही है, इसमें एक खर्चा और बढ़ रहा है। - बलदेव प्रसाद
परिवार को छह महीने में एक बार चीनी मिल जाती थी। अभी काफी समय से नहीं आई है, समय पर आ जाए तो अच्छा ही है। - हिमांशु
दिव्यांगों के लिए अंत्योदय कार्ड बनाए गए हैं, लेकिन इसका कितना ही फायदा है, लंबे समय से चीनी मिल नहीं रही है। - एलडी भट्ट
बाजपुर, किच्छा समेत अन्य शुगर मिलों से चीनी की आपूर्ति के लिए 3,186 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एडवांस पेमेंट की गई है। हालांकि मिल मालिक दरों को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस कारण आपूर्ति अटकी हुई है। इस संबंध में आगे का निर्णय शासन स्तर पर होगा। - सीएस मर्तोलिया, क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक

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