लालकुआं में देश के पहले एरोमेटिक गार्डन का शुभारंभ, औषधीय गुणों से युक्त 140 प्रजातियों के पौधे लगाए गए
वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं में 140 प्रजातियों के पौधों का रोपण कर देश का पहला एरोमेटिक गार्डन (सुरभि वाटिका) तैयार किया गया है। इसका शुभारंभ रविवार को महाराष्ट्र की वन टच एग्रीकॉन संस्था की संचालिका बीना राव और मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से किया।

संवाद सहयोगी, लालकुआं : वन विभाग के अनुसंधान प्रभाग द्वारा वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं में 140 प्रजातियों के पौधों का रोपण कर देश का पहला एरोमेटिक गार्डन (सुरभि वाटिका) तैयार किया गया है। इसका शुभारंभ रविवार को महाराष्ट्र की वन टच एग्रीकॉन संस्था की संचालिका बीना राव और मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से किया।
एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित इस वाटिका में विभिन्न सगंध उपयोगी 140 प्रजातियों का रोपण किया गया है। जिसमें मुख्य रूप से तुलसी की 24 प्रजातियां, हल्दी व अदरक की नौ प्रजातियां एवं घास की छह प्रजातियां, फूलों की 46 प्रजातियां समेत अन्य सगंध प्रजातियां शामिल हैं। इस गार्डन को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य सगंध प्रजातियों को संरक्षित कर आम जनमानस को इनके प्रति जागरूक करना है। ताकि भविष्य में इन प्रजातियों से रोजगार भी सृजित किया जा सके।
इस मौके पर वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तथा पर्यावरण प्रेमी मौजूद रहे। इनमें वन क्षेत्राधिकारी भुवन सिंह बिष्ट, मुन्नी बोरा, नागेश्वर तथा भारी संख्या में वन कर्मी मौजूद थे। कार्यक्रम में प्रभागीय वनाधिकारी अनुसंधान प्रभाग दीपचंद्र पंत ने सगंध प्रजाति के पौधों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। कार्यक्रम का संचालनवन क्षेत्राधिकारी वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी मदन बिष्ट ने किया।
प्रदूषण को खत्म करने में सहायक है सगंध पौधशाला
प्रमुख वन संरक्षक संजीव वचतुर्वेदी ने कहा यहां लगाए गए अधिकांश पौधे पर्यावरण प्रदूषण को कम करने तथा वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने और आसपास के वातावरण को सुगंधित बनाने के उद्देश्य से क्षेत्र का चयन कर यहां लगाए जा रहे हैं। वाटिका में लगाए गए पौधों में अधिकांश पौधे औषधीय गुणों से युक्त हैं। उन्होंने बताया अनुसंधान केंद्र में स्थित फाइकस गॉर्डन से भी क्षेत्र को अत्यधिक लाभ होने वाला है। क्योंकि देश के दूसरे नंबर के फाइकस गार्डन में 121 फाइकस प्रजाति के पौधे लगाए गए हैं। इससे बड़ा फाइकस गार्डन केवल कोलकाता में ही है। उन्होंने कहा वन अनुसंधान केंद्र का उद्देश्य विलुप्त हो रही प्रजातियों को भी संरक्षित करना है तथा इस दिशा में यह अनुसंधान केंद्र सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।