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    नैनीताल के लिए सबसे बड़ा खतरा बना बलियानाला का भूस्खलन, अब पहाड़ी पर कटिंग कर रोकने की कवायद

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Sun, 10 Jul 2022 02:45 PM (IST)

    1867 में शहर की तलहटी पर स्थित बलियानाले की पहाड़ी पर पहला भूस्खलन हुआ था। इसके बाद कई बार हुआ जिससे पूरे शहर को खतरा मंडराने लगा। अब पहाड़ी के ऊपर कटिंग कर उसे ढलान देकर ट्रीटमेंट दिया जाना प्रस्तावित है।

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    15 जुलाई तक संबंधित कंपनी की ओर से सिंचाई विभाग को डीपीआर सौंप दी जाएगी।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। शहर के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा संकट और वर्षो से समस्या बने बलियानाला पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन की रोकथाम को लेकर अब उम्मीद जगी है। हाई पावर कमेटी के निर्देशों के बाद सिचाई विभाग द्वारा पुणे की कंपनी से करवाया गया सर्वे कार्य पूरा हो चुका है। 

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    कंपनी की ओर से पहाड़ी की रोकथाम को सिंचाई विभाग को ट्रीटमेंट सुझाया है। जिसमें पहाड़ी के ऊपर कटिंग कर उसे ढलान दिया जाना प्रस्तावित है। साथ ही नाले की तलहटी से रोडवेज बस अड्डे तक नाले में कई सुरक्षात्मक कार्य किए जाने हैं। 15 जुलाई तक संबंधित कंपनी की ओर से सिंचाई विभाग को डीपीआर सौंप दी जाएगी। जिसके बाद पहाड़ी की रोकथाम में आने वाले खर्च का ब्यौरा भी स्पष्ट हो पाएगा।

    बता दें कि शहर की बसासत के कुछ वर्षों बाद ही भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आने लगी थी। वर्ष 1867 में शहर की तलहटी पर स्थित बलियानाले की पहाड़ी पर पहला भूस्खलन हुआ था। जिसके बाद अंग्रेजों ने पहाड़ी की रोकथाम को लेकर कमेटी गठित कर कई अध्ययन करवाएं। साथ ही कई सुरक्षात्मक कार्य भी किए गए। मगर पहाड़ी पर भूस्खलन नहीं थमा। यूपी और प्रथक प्रदेश बनने के बाद पहाड़ी की को लेकर कई कवायदे होती रही। मगर पहाड़ी पर भूस्खलन थमने के बजाय बढ़ता गया। 

    2018 में हुए भारी भूस्खलन के बाद शासन ने संज्ञान लेते हुए जाइका को भूस्खलन के कारणों की जांच सौपी। जापान से पहुँचे विशेषज्ञों ने करीब एक वर्ष अध्ययन कर कई सर्वे किये। मगर कोविड के कारण जापान गए लौटे विशेषज्ञ वापस नहीं लौट सके। जिस कारण सर्वे कार्य और डीपीआर बनाने का कार्य अधूरा छूट गया। शासन स्तर पर गठित हाई पवार कमेटी ने भूस्खलन की गंभीरता को देखते हुए सिंचाई विभाग को ही सर्वे कर डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी सौप दी गयी। 

    सिंचाई विभाग ने पुणे की जेट्स कंसलटेंस प्राइवेट लिमिटेट कंपनी से सर्वे करवाया। सिंचाई विभाग अधिशाषी अभियंता केएस चौहान ने बताया कि सर्वे कार्य पूरा कर कंपनी ने ट्रीटमेंट प्रपोज कर दिया है। 15 जुलाई तक कंपनी की ओर से डीपीआर भी सौप दी जाएगी। जिससे ट्रीटमेंट में आने वाला खर्च भी स्पष्ट हो जाएगा। बताया कि डीपीआर को हाई पवार कमेटी के सामने रख बजट की मांग को शासन में भेजा जाएगा। 

    पहाड़ी का ऊपर से होगा कटान

    केएस चौहान ने बताया कि पहाड़ी पर लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण खड़ा ढलान हो गया है। जिस कारण भूस्खलन की समस्या बढ़ रही है। सर्वे के बाद सुझाये गए प्लान के मुताबिक पहाड़ी को ऊपर की ओर से काटा जाएगा। जिसमें पहाड़ी के ऊपर स्थित मैदान का कुछ हिस्सा कटिंग में जायेगा। पहाड़ी को करीब 45 डिग्री पर काटा जाएगा। जिससे नया भूस्खलन रुक सके। 

    पूरी पहाड़ी पर होंगे वायरक्रेट्स, एकलिंग से होगी रोकथाम

    चौहान ने बताया कि पहाड़ी पर भूस्खलन की रोकथाम को तलहटी से ऊपर तक वायरक्रेट्स का जाल बिछाकर दीवारों के निर्माण किया जाएगा। साथ ही पहाड़ी पर पड़ी दरारों को भरने के लिए एकलिंग कर उनमें केमिकल भरा जाएगा। 

    पानी की निकासी की होगी पक्की व्यवस्था

    चौहान ने बताया कि कंपनी के विशेषज्ञों ने पहाड़ी पर हो रहा पानी के रिसाव को भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण बताया है। जिसकी रोकथाम बेहद जरूरी है। बताया कि बीच पहाड़ी से पानी को तलहटी तक ले जाने के लिए पक्के इंतजाम किए जाएंगे। जिसमे सीढीनुमा नाले का निर्माण करना प्रस्तावित है। 

    रोडवेज बस अड्डे से 900 मीटर लंबा हिस्सा भी शामिल

    चौहान ने बताया कि पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन नाले की ओर भी बढ़ सकता है। जिस कारण विशेषज्ञों से पहाड़ी की तलहटी से बस अड्डे तक का सर्वे भी करवाया गया है। अब बलियानाले के साथ ही झील से पहाड़ी की तलहटी तक पहुँचने वाले नाले के 900 मीटर हिस्से का ट्रीटमेंट करना भी प्रस्तावित है। 

    हाई पवार कमेटी करेगी दौरा

    केएस चौहान ने बताया कि अगले कुछ दिनों में हाई पावर कमेटी सदस्यो द्वारा बलियानाला पहाड़ी का सर्वे कर हो रहे भूस्खलन का जायजा भी लिया जाएगा। साथ ही 15 जुलाई तक कंपनी फाइनल डीपीआर भी सौप देगी। 

    प्रभावितों का विस्थापन भी है शामिल

    कंपनी की ओर से सुझाये गए प्लान के तहत भूस्खलन की जद में आ रहे भवनों को भी खाली किया जाना है। पालिका की ओर से 55 परिवारों को नोटिस तो जारी किए गए मगर लोगों ने नोटिस रिसीव नहीं किये। केएस चौहान ने बताया कि पहाड़ी के ऊपर कटिंग करने में मुहाने पर स्थित कुछ भवन भी ध्वस्त करने पड़ सकते है। जिसके लिए कंपनी विशेषज्ञों ने चिन्हीकरण भी किया है।