पूर्व मुख्यमंत्रियों के किराया अधिनियम को फिर चुनौती, हाईकोर्ट में दाखिल होगी याचिका nainital news
पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया किराया मामला उलझता जा रहा है। राज्य सरकार ने पूर्व सीएम को राहत देते हुए अधिनियम पारित किया है।
नैनीताल, जेएनएन : पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया किराया मामला उलझता जा रहा है। राज्य सरकार ने पूर्व सीएम को राहत देते हुए अधिनियम पारित किया है। अब अधिनियम के प्रावधानों को फिर से याचिका द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी जा रही है।
अध्यादेश पारित कर दी गई है राहत
दरअसल देहरादून की रूलक संस्था द्वारा पीआइएल फाइल कर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूली के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया था। वर्षों तक चले मामले के बाद कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर सुविधाओं का बकाया जमा करने के आदेश पारित किए थे। जिसके बाद सरकार द्वारा अध्यादेश पारित कर पूर्व सीएम को राहत दी, फिर अध्यादेश को विधानसभा में पारित कराकर अधिनियम की शक्ल दी।
अधिनियम में की गई है ये व्यवस्था
अधिनियम में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से सुविधाओं के एवज में मानक किराए से 25 फीसद अधिक किराया वसूला जाएगा। यह भी कहा है कि मानक किराया सरकार तय करेगी। साथ ही कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे मगर किराया सरकार तय करेगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता के अनुसार अधिनियम को याचिका के माध्यम से चुनौती दी जा रही है।
याचिका तैयार, दी जाएगी चुनौती
कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही कहा था कि इस अवधि में यदि सरकार ने अधिनियम बनाया तो याचिकाकर्ता उसे कोर्ट में चुनौती दे सकता है। याचिका तैयार हो चुकी है, जिसे मंगलवार को दाखिल किया जाएगा।
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