अब नवंबर में जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने की बाध्यता खत्म, ईपीएस पेंशनभोगियों को राहत दी
ईपीएफओ ने ट्विटर हैंडल से दी जानकारी में कहा है कि ईपीएस 95 पेंशनभोक्ता क्या आपके जीवन प्रमाणपत्र की वैधता अवधि समाप्त हो रही है? अब किसी भी समय जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकते हैं। यह जमा करने की एक साल की अवधि तक वैध रहेगा।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने पेंशनधारकों के लिए जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के मामले में बड़ी राहत दी है। ईपीएफओ ने हर वर्ष नवंबर में जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की बाध्यता समाप्त कर दी है। नए नियम के मुताबिक, पेंशनभोगी किसी भी समय जीवन प्रमाणपत्र जमा करा सकते हैं। जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की तारीख से एक साल तक के लिए वैध होगा।
पेंशनधारकों को पेंशन मिलना जारी रहे, इसके लिए उन्हें अपना जीवन प्रमाणपत्र जमा कराना जरूरी होता है। ईपीएफओ के कर्मचारी पेंशन स्कीम 95 (ईपीएस 95) के तहत कुमाऊं में 50 हजार से अधिक पेंशनर हैं। ईपीएफओ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी जानकारी में कहा है कि ईपीएस 95 पेंशनभोक्ता क्या आपके जीवन प्रमाणपत्र की वैधता अवधि समाप्त हो रही है? अब किसी भी समय जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकते हैं। यह जमा करने की एक साल की अवधि तक वैध रहेगा।
यह है जीवन प्रमाणपत्र का नियम
ईपीएफओ हल्द्वानी के सहायक आयुक्त उदित साह ने बताया कि ईपीएस पेंशनभोगी के लिए जीवन प्रमाणपत्र जमा कराना जरूरी है। किसी पेंशनभोगी ने 30 नवंबर 2021 को जीवन प्रमाणपत्र जमा किया था तो उसे अब 30 नवंबर 2022 से पहले प्रमाणपत्र जमा कराना होगा। अंतिम तिथि से पहले जमा नहीं कराने पर पेंशन रोक दी जाती है। जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए पेंशन पेमेंट आर्डर (पीपीओ) नंबर, आधार, बैंक खाते की जानकारी की जरूरत होती है।
कैसे करा सकते हैं जमा
पेंशनभोगी अपना जीवन प्रमाणपत्र पेंशन जारी करने वाले बैंक, कामन सर्विस सेंटर (सीएससी), भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी), डाकघर, उमंग एप या ईपीएफओ कार्यालय में जाकर जमा कर सकते हैं। इसे आनलाइन या आफलाइन दोनों तरीके से जमा कराया जा सकता है।
पीएफ दबाने के मामले में निगम से मांगा जवाब
संविदा, ठेका व स्वच्छता समिति के तहत कार्यरत सफाई कर्मचारियों का 26.83 लाख पीएफ बकायेदारी के मामले में ईपीएफओ ने नगर निगम हल्द्वानी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कर्मचारियों की शिकायत के बाद ईपीएफओ ने 2012-13 में 97 कर्मचारियों का पीएफ से वंचित करने का मामला पकड़ा था। निगम अपने पक्ष से आयुक्त को संतुष्ट नहीं कर पाता है तो उसे ब्याज व जुर्माने के साथ कर्मचारियों के पीएफ का भुगतान करना होगा।
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