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अब राशन की दुकान पर रोजगार भी मिलेगा, खुलेंगे कॉमन सर्विस सेंटर

खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग अब शिक्षित सस्ता गल्ला राशन विक्रेताओं के साथ ही शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए भी रोजगार के दरवाजे खोलने जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 09:42 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 01:28 PM (IST)
अब राशन की दुकान पर रोजगार भी मिलेगा, खुलेंगे कॉमन सर्विस सेंटर

नैनीताल, (जेएनएन) : खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग अब शिक्षित सस्ता गल्ला राशन विक्रेताओं के साथ ही शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए भी रोजगार के दरवाजे खोलने जा रहा है। दरअसल सस्ता गल्ला दुकानों को डिजिटल करने में राशन विक्रेताओं के समक्ष तकनीकी ज्ञान की दिक्कत आ रही है। जिसके बाद दुकानों में खोले जाने वाले कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) का संचालन करने के लिए बेरोजगार युवाओं को मौका देने की कवायद शुरू हो गई है। युवा अपना कॉमन सर्विस सेंटर खोलने के लिए जिला स्तर पर बनाए गए सीएससी के माध्यम से जानकारी हासिल कर पंजीकरण करवा सकते हैं। फिलहाल कुमाऊं के नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले में यह योजना लागू होगी।

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डिजिटल इंडिया अभियान के तहत तमाम तरह की ऑनलाइन सुविधाओं के लिए राशन की दुकानों को कॉमन सर्विस सेंटर बनाने की कवायद काफी समय से की जा रही है, लेकिन कुछ स्थानों पर राशन विक्रेताओं के समक्ष तकनीकी ज्ञान और अन्य दिक्कते आने की वजह से सेंटर की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही। जिसके लिए अब जहां राशन विक्रेता सक्षम न हों, वहां सेंटर का संचालन कराने के लिए शासन स्तर से शिक्षित युवा बेरोजगारों को भी मौका देने की तैयारी चल रही है। सेंटर चलाने वाले शिक्षित बेरोजगार लोगों से शुल्क वसूल सकेंगे। शुल्क की दरें शासन स्तर पर ही तय होंगी। राशन विक्रेताओं के अलावा अन्य शिक्षित बेरोजगार युवा भी कॉमन सर्विस सेंटर खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड नंबर का होना जरूरी है। जिसके जरिये सीएससी की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही ऑनलाइन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए आइडी मिलेगी। जिसका इस्तेमाल कर लोगों को सेवाएं दी जा सकती हैं।

गल्ला विक्रेता ऐसे कर सकते हैं आवेदन : सस्ता गल्ला विक्रेताओं को सीएससी खोलने के लिए अपना आधार नंबर, पैन कार्ड, बैंक खाता, दो पासपोर्ट साइज फोटो के साथ ही शिक्षित होने का प्रमाण पत्र देना होगा। सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों को सीएससी बनाने के लिए जिला स्तर पर तैनात किए गए एक्जीक्यूटिव व मैनेजर के पास जमा करवाना होगा। जिसके बाद बायोमैट्रिक फिंगर प्रिंट से ही राशन विक्रेताओं का सीएससी का एकाउंट खुलेगा।

एक्जीक्यूटिव देंगे प्रशिक्षण : सेंटर खोलने वाले गल्ला विक्रेताओं को सीएससी के जिला स्तर पर तैनात एक्जीक्यूटिव ऑनलाइन सुविधाओं का प्रशिक्षण देंगे। किसी तरह की दिक्कतें आने पर भी एक्जीक्यूटिव तकनीकी सपोर्ट करेंगे। जिससे लोगों की दी जाने वाली सुविधाओं में किसी तरह की कमी न रहे।

दुकानों में दी जाएगी इंटरनेट की सुविधा : सस्ते गल्ले की दुकानों को ऑनलाइन राशन वितरण के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट डोंगल, बायोमैट्रिक मशीन दी गई है। इन्हीं सब सुविधाओं की आवश्यकता कॉमन सर्विस सेंटर के लिए भी होती है। दुकानदारों की उपलब्ध कराई गई इन सुविधाओं का लाभ आम आदमी को भी मिल सके, इसके लिए डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़ी सस्ते गल्ले की दुकानों को कॉमन सर्विस सेंटर से जोडऩे की कवायद शुरू की गई है। जिससे दुकानों में राशन लेने के साथ ही उपभोक्ता ऑनलाइन सेवाओं का भी लाभ ले सकें। साथ ही अपना कॉमन सर्विस सेंटर खोलकर आय भी अर्जित कर सकते हैं।

इन सुविधाओं का मिलेगा लाभ : कॉमन सर्विस सेंटर पर जाति प्रमाण, पत्र, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, एलआइसी प्रीमियम ऑनलाइन जमा करने, सेविंग स्कीम में धनराशि जमा करने सहित लगभग 40 तरह की ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ मिलेगा।

नैनीताल और यूएस नगर में 1409 दुकानें : प्रदेश के देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधसिंह नगर जिले में राशन की दुकानों को सीएससी बनाने की योजना शुरू की गई है। नैनीताल में सस्ता गल्ला की 715 एवं ऊधमसिंह नगर में 694 दुकानें हैं। कुमाऊं के इन दोनों जिलों में अधिकांश राशन की दुकानों में लैपटॉप, बायोमैट्रिक मशीन सहित ऑनलाइन राशन वितरण करने के लिए उपकरण तो दे दिए गए, लेकिन कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में दुकानों को विकसित करने के लिए राशन विक्रेताओं के समक्ष तकनीकी दिक्कतें आ रही है, जिससे अब यहां सीएससी सेंटर संचालन के लिए शिक्षित बेरोजगार युवाओं को मौका देने की योजना पर काम हो रहा है।
एक्जीक्यूटिव सीएसएसी देवेश कुमार देशवाल ने इस मामले में बताया कि सीएससी सेंटर संचालकों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रदेश के चार जिलों में यह योजना शुरू की गई है।

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