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    भूकंप से डोली उत्‍तराखंड की धरती, 4.7 रिक्‍टर स्‍केल की थी तीव्रता, बागेश्‍वर का गोगिना रहा केंद्र nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 08 Feb 2020 09:02 AM (IST)

    प्रदेश के कुमाऊं मंडल में सुबह 6.30 बजे भूकंप आया। भूकंप के झटके पिथौरागढ़ से लेकर नैनीताल जिले तक महसूस किए गए। अभी किसी जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।

    भूकंप से डोली उत्‍तराखंड की धरती, 4.7 रिक्‍टर स्‍केल की थी तीव्रता, बागेश्‍वर का गोगिना रहा केंद्र nainital news

    नैनीताल, जेएनएन : प्रदेश के कुमाऊं मंडल में सुबह 6.30 बजे भूकंप आया। भूकंप के झटके पिथौरागढ़ से लेकर नैनीताल जिले तक महसूस किए गए। अभी किसी जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। भूकंप रिक्टर स्केल पर 4.7 आंकी गई है। इसका केंद्र बागेश्वर जिले का गोगिना क्षेत्र था। यह पिथौरागढ़-बागेश्वर जिले की सीमा का एरिया है। पिथौरागढ़ में झटकों के चलते लोगों के घर से निकलने की सूचना है। वहीं बागेश्वर की डीएम रंजना राजगुुरु ने बताया कि फिलहाल कहीं से किसी नुकसान की सूचना नहीं है। उधर, रुद्रपुर से जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि जिले में कहीं से भी भूकंप की कोई सूचना नहीं है। तहसीलों में चेक कराया जा रहा है। किसी प्रकार के झटके महसूस किए जाने की जानकारी नहीं प्राप्‍त हुई।

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    भूकंप के लिहाज से बहुत संवेदनशील है प्रदेश

    उत्तराखंड भूकंप के अति संवेदनशील जोन पांच व संवेदनशील जोन चार में आता है। ऐसे में हिमालयी प्रदेशों में से एक उत्तराखंड में भूकंप के लिहाज से खासे ऐतिहात की जरूरत है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं, जबकि ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।

    इसलिए आते हैं इस क्षेत्र में भूकंप

    वैसे भी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेट की टकराहट के चलते जमीन के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। जिस कारण भूकंप आना स्वाभाविक है। पिछले रेकार्ड देखें तो करीब नौ झटके सालभर में महसूस किए जा सकते हैं। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि यह भूकंप राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच में आया है और इससे स्पष्ट भी होता है कि भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। पिछले रिकॉर्ड भी देखें तो अति संवेदनशील जिलों में ही सबसे अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं।

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