दशहरी आम की नई प्रजाति स्वाद और उत्पादन दाेनों में बेहतर, देश के सभी हिस्सों में किया जा सकेगा उत्पादन
उद्यान अनुसंधान केंद्र पत्थरचट्टा ने लखनऊ की दशहरी आम-51 प्रजाति का मूल दशहरी के साथ उत्पादन के लिहाज से 12 साल तक मूल्यांकन किया। इसमें पाया गया कि दशहरी-51 प्रजाति का उत्पादन सामान्य दशहरी से 18 से 20 प्रतिशत अधिक हुआ।

रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : आम की दशहरी-51 प्रजाति लगाने से उत्तराखंड के लोग न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे, बल्कि स्वाद का भी मजा लेंगे। जी हां, उद्यान अनुसंधान केंद्र पत्थरचट्टा ने लखनऊ की दशहरी आम-51 प्रजाति का मूल दशहरी के साथ उत्पादन के लिहाज से 12 साल तक मूल्यांकन किया। इसमें पाया गया कि दशहरी-51 प्रजाति का उत्पादन सामान्य दशहरी से 18 से 20 प्रतिशत अधिक हुआ। यहीं नहीं इस प्रजाति में हर साल फल लगे, जबकि मूल दशहरी में एक साल छोड़कर फल लगते हैं। संस्थान ने अब बेचने के लिए इसके पौधे तैयार किए हैं।
लखनऊ के एक किसान ने करीब 20 साल पहले दशहरी आम की एक प्रजाति विकसित की तो इसे केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा लखनऊ के विज्ञानी इसे देखने को उत्सुक हए और इसकी खासियत जानने के लिए किसान के खेत में गए। बाद में संस्थान के विज्ञानियों ने किसान के साथ मिलकर मूल्यांकन किया और उत्पादन बेहतर होने पर इसका नाम दशहरी-51 नाम दिया।
बताया गया कि इस नई प्रजाति को देश के किसी भी हिस्से में लगाया जा सकता है। उत्तराखंड में यह प्रजाति कितनी कारगर साबित हाे सकती है, जब गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के उद्यान अनुसंधान केंद्र पत्थरचट्टा के विज्ञानियों ने अखिल भारतीय फल समंवित परियोजना के तहत इस प्रजाति का उत्तराखंड के जलवायु के हिसाब से इस प्रजाति का शोध किया।
केंद्र के विज्ञानिकों के करीब 12 साल तक मूल दशहरी व दशहरी-51 प्रजाति के मूल्यांकन में पाया गया कि आम के आकार में करीब 20 प्रतशित वृद्धि दर्ज की गई और इतना ही उत्पादन बढ़ गया। यह प्रजाति उत्तराखंड के किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हैं। खास बात यह है कि प्रजाति-51 में हर साल फल लगते हैं, जबकि मूल दशहरी में एक साल छोड़कर फल लगते हैं। दशहरी में चार साल में फल लगने लगते हैं।
12 सौ मीटर की ऊंचाई तक ले सकते फल
दशहरी-51 को राज्य में 1000 से 12 सौ मीटर ऊंचाई तक बाग लगा कर उत्पादन लिया जा सकता है। जहां पर बर्फबारी ज्यादा होगी, वहां पर इस प्रजाति का बाग नहीं लग सकता है। किसानों काे बेचने के लिए एक हजार पौधे तैयार किए हैं। जो पहली बार बेचे जाएंगे। प्रति पौधे 75 रुपये लिए जाएंगे। पौधे लगाने का सीजन 15 जुलाई से होगा।
मूल दशहरी से 51 प्रजाति में 20 प्रतिशत का अधिक उत्पादन
उद्यान अनुसंधान केंद्र, पत्थरचट्टा, पंतनगर के संयुक्त निदेशक डाक्टर एके सिंह ने बताया कि मूल दशहरी व दशहरी-51 प्रजाति का शोध के माध्यम से मूल्यांकन किया गया तो आम के आकार में खासकर लंबाई में बढ़ोत्तरी हुई है। जो देखने में भी अच्छा लगता है। मूल दशहरी से 51 प्रजाति में करीब 20 प्रतिशत उत्पादन भी अधिक पाया गया है। करीब 12 सौ मीटर ऊंचाई तक इस प्रजाति को लगाया जा सकता है।
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