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    किस एरिया में घूर रहे हैं हाथी-बाघ-तेंदुआ, ड्रोन करेगा सावधान, वन विभाग की नई पहल

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 13 May 2019 12:38 PM (IST)

    वन्यजीवों की आवाजाही से अगाह करने के लिए वन विभाग अब तकनीक का सहारा लेगा। ड्रोन की मदद लेकर लोगों को बताया जाएगा कि इस एरिया में गुलदार-हाथी या अन्य जंगली जानवर सक्रिय हैं।

    किस एरिया में घूर रहे हैं हाथी-बाघ-तेंदुआ, ड्रोन करेगा सावधान, वन विभाग की नई पहल

    हल्द्वानी, जेएनएन : आबादी के आसपास वन्यजीवों की आवाजाही से अगाह करने के लिए वन विभाग अब तकनीक का सहारा लेगा। ड्रोन की मदद लेकर लोगों को बताया जाएगा कि इस एरिया में गुलदार-हाथी या अन्य जंगली जानवर सक्रिय है। लिहाजा, खुद भी सतर्क रहे। ड्रोन में साउंड सिस्टम का इस्तेमाल कर लोगों तक यह जानकारी पहुंचाई जाएगी।
    मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। पहाड़ में अधिकांश जगह गुलदार का आतंक है तो तराई में हाथी-बाघ व गुलदार तीनों की मौजूदगी है। जंगलों से सटे खेती वाले इलाकों में हाथियों के फसल रौंदने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सूचना पर वन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंच लोगों को सचेत करते हैं, लेकिन बड़े वर्ग तक मैसेज पहुंचाना थोड़ा मुश्किल भी है। जबकि वन्यजीव एक लंबे एरिया में मूवमेंट करते हैं। वन विभाग के मुताबिक आबादी से सटे एरिया में किसी भी तरह का मूवमेंट होने या संभावना पर भी ड्रोन के जरिये लोगों को सतर्क किया जाएगा। ड्रोन साउंड सिस्टम के जरिये उन्हें बताया जाएगा कि इस एरिया में न जाएं और जंगल में न घुसें। क्योंकि आगे खतरे की संभावना है। विभाग को पूरी उम्मीद है कि तकनीक का इस्तेमाल करने से समय की बचत होने के साथ ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुंचेगी।

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    13 साल में 189 गुलदार आदमखोर 
    मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकना बेहद जरूरी है। आकंड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2006 से 2018 के बीच प्रदेश में 189 गुलदार व 18 बाघों को आदमखोर घोषित किया जा चुका है। आबादी में घुसकर इंसान को निवाला बनाने की वजह से यह वन्यजीव आदमखोर घोषित हुए। इसके अलावा 18 बाघ भी सूची में शामिल हैं। वहीं दो हाथियों को भी आदमखोर में शामिल किया गया। 

    पांच साल में 40 ने गंवाई जान 
    कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा हमले गुलदार द्वारा किए गए। 2013-14 से 2018 के बीच 40 लोग वन्यजीवों के हमले में अपनी जान गवां चुके हैं। इसके अलावा 56 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। 

    दायरे से निकलना दोनों के लिए खतरा 
    वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो दायरे से बाहर निकलना जानवर व इंसान दोनों के लिए खतरनाक है। भोजन की तलाश में अक्सर बाघ-गुलदार आबादी की तरफ दस्तक देते हैं। बढ़ती उम्र भी एक वजह मानी जाती है। वहीं, इंसानों का लगातार जंगल में दखल देना उन्हें पसंद नहीं है। भोजन के साथ कभी डर की वजह से भी हमला करते हैं। लिहाजा, मानव व वन्यजीवों के बीच एक फासला भी जरूरी है। क्योंकि वन्यजीव अक्सर प्राकृत्तिक आवास से बाहर निकलते ही आक्रामक हो जाते हैं। 

    यह प्रयोग वन्‍यजीवों व आम जनों के हित में 
    डॉ. पराग मधुकर धकाते, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त ने बताया कि ड्रोन का हर उस काम में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे वन संपदा व वन्यजीवों को फायदा मिले। प्रयास रहेगा कि लोग भी जागरूक होकर वन विभाग का सहयोग करें।

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