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    'मेरी फीस तब मिलती है जब छात्र मिठाई का डिब्बा लाता है', डॉ. भट्ट के सुपर क्लास में मिलती है फ्री कोचिंग

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 04:03 PM (IST)

    मुक्तेश्वर से डॉ. मुरली मनोहर भट्ट सुपर 30 के आनंद कुमार की तरह हैं जो गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग देते हैं। उन्होंने अपने पिता के नाम पर एक केंद्र खोला जहाँ वे सेना और पुलिस जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं। उनके मार्गदर्शन में कई छात्र सेना में भर्ती हुए और सरकारी नौकरी पाए।

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    डॉ. भट्ट की ‘सुपर क्लास’ में फीस में सिर्फ मिठाई चलती है।

    भूपेश कन्नौजिया, मुक्तेश्वर। ऋतिक रोशन की सुपरहिट फिल्म सुपर 30 आपने देखी होगी, जिसमें आनंद कुमार जैसे शिक्षक आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मुफ्त में पढ़ाकर आईआईटी में पहुंचाते हैं। अब ओखलकांडा के डालकन्या निवासी और यहीं राजकीय इंटर कॉलेज में तैनात हिंदी के प्रवक्ता डॉ. मुरली मनोहर भट्ट को देखिए हकीकत के आनंद कुमार, जिनकी क्लासरूम किसी सिनेमा की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि जज्बे और जमीनी संघर्ष की सच्ची मिसाल है।

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    डॉ. भट्ट पिछले बीस वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। पीटीए शिक्षक से सरकारी प्रवक्ता बनने तक का सफर उन्होंने पार किया, लेकिन उनका असली सपना था गांव के उन बच्चों को ऊपर उठाना, जिन्हें किताबें तक मयस्सर नहीं होतीं।

    उन्होंने अपने स्वर्गीय पिताजी चंद्रमणि भट्ट के नाम पर एक फ्री कोचिंग एवं परामर्श केंद्र की शुरुआत की, जहाँ वे सेना, पुलिस, सहायक प्रवक्ता समेत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की मुफ्त तैयारी करवाते हैं।

    उनके सिखाए 650 से अधिक छात्र भारतीय सेना में भर्ती हो चुके हैं और 100 से अधिक सरकारी नौकरियों में चयनित होकर गांव, समाज और शिक्षक का नाम रोशन कर चुके हैं।

    सुपर 30 में जैसे आनंद कुमार कहते हैं ‘राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, वही राजा बनेगा जो हकदार होगा’, वैसी ही सोच डॉ. भट्ट की है।” उनका मानना है कि “टैलेंट हर घर में है, लेकिन हर जेब में कोचिंग की फीस नहीं होती।” यही सोच उन्हें आज “पहाड़ का सुपर 30 गुरु” बनाती है।

    पिथौरागढ़, चम्पावत जैसे दूरस्थ जिलों से जो छात्र पढ़ने आते हैं, उनके लिए डॉ. भट्ट रहने-खाने की पूरी व्यवस्था भी फ्री करते हैं। कई छात्रों को अपने गांव में कमरों का बंदोबस्त, तो कुछ को खुद के मकान के हाल में ठहराना ये सब कुछ बिना किसी फीस के और बिना किसी शर्त के होता है।

    वे मुस्कुराते हुए कहते हैं मेरी फीस तब मिलती है जब कोई छात्र मिठाई का डिब्बा और नियुक्ति पत्र लेकर मेरे पास आता है। हाल ही की अग्निवीर व पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए भी उन्होंने 60 छात्रों को तैयार किया है।

    वे कहते हैं मैं छात्रों को सिविल सेवा के लिए अभी नहीं पढ़ा सकता, लेकिन इतना जरूर सिखा सकता हूँ कि वे वहां तक का सफर खुद तय कर सकें।”

    वे अपने इस सफर का श्रेय अपने बड़े भाई पूर्व सैनिक केशव दत्त भट्ट को देते हैं और भीगी पलकों और रूंधे गले से कहते हैं की जब मैं पांचवीं में था पिताजी चल बसे।

    लेकिन बड़े भाई ने हिम्मत नहीं हारी और खूब मन से पढ़ाई करने को प्रेरित किया, एक कच्चे मकान में रहने के बावजूद भाई ने कोई कमी नहीं की। और बस यहीं से सोच लिया था कि मैं भी अपने क्षेत्र में हर छात्र को उसका बड़ा भाई बनकर पढ़ाऊँगा और भविष्य के लिए तैयार करूँगा।

    छात्रों से बातचीत

    सर को पूरा ओखलकांडा ब्लॉक ही नहीं बल्कि पूरा कुमाऊं जानता है, सर की खासियत कहें या भगवान की कोई कृपा वो जो भी पढ़ाते-समझाते हैं सब कुछ जादू की तरह समझ आने लगता है। मेरा पुलिस भर्ती का सपना सर की बदौलत ही पूरा होने वाला है ऐसी उम्मीद नहीं यकीन है मेरा। -जीतू सुयाल, निवासी हैड़ाखान।

    चम्पावत, पिथौरागढ़ तक से बच्चे यहाँ आते हैं हिंदी के प्रवक्ता होने के बावजूद सर सरकारी नौकरी की इतनी बेहतरीन तैयारी करवाते हैं की कोई एग्जाम क्वालीफाई ना करे ये संभव ही नहीं। गरीब छात्रों के तो मसीहा हैं सर। उनके रहने खाने तक का खर्च ख़ुद वहन करते हैं। -पंकज मेहता, निवासी गड़गड़ी।

    सर ने करीब सात सौ बच्चों को तो आर्मी में भर्ती करवा दिया है बाक़ी अन्य सरकारी नौकरियों में हैं। मेरा बड़ा भाई भी सर के मार्गदर्शन में आर्मी में भर्ती हुआ है। चाहे गर्मी की छुट्टियाँ हों या रविवार, सर कभी क्लास लेना नहीं भूलते ना कहीं परिवार के साथ घूमने जाते हैं। उन्होंने स्कूली छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों का जीवन सफल बना दिया है। ऐसे शिक्षक को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलना चाहिए। -खिमेश सनवाल, निवासी न्खूस्य।