आखिर क्यों, आसमान में दिख रहा ये धूमकेतु बना आकर्षण का केंद्र? एक झलक पाने को खगोल प्रेमी बेहद उत्साहित
Double Tailed Green Comet पश्चिमी देशों में इस धूमकेतु को क्रिसमस धूमकेतु के नाम से पुकारा जा रहा है। इसकी झलक पाने को खगोल प्रेमी बेहद उत्साहित हैं। 12 जनवरी को यह धूमकेतु सूर्य के करीब पहुंचेगा।

रमेश चंद्रा, नैनीताल : Double Tailed Green Comet : इन दिनों दो पूंछ वाला हरा धूमकेतु आकर्षण का केंद्र बना है। बहुत जल्द वह पृथ्वी के करीब पहुंचने जा रहा है।
पश्चिमी देशों में इस धूमकेतु को क्रिसमस धूमकेतु के नाम से पुकारा जा रहा है। इसका वास्तविक नाम धूमकेतु जेडटीएफ सी/2022 एफ3 है। धूमकेतु को इन दिनों दूरबीन की मदद से देखा जा सकता है।
इसकी झलक पाने को खगोल प्रेमी बेहद उत्साहित
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि इस धूमकेतु की दो पूंछ निकल आई है। इस कारण इसकी झलक पाने को खगोल प्रेमी बेहद उत्साहित हैं। एक पूंछ धूल व दूसरी आयन की बनी हुई है।
आयन पूंछ गैस से बनी हुई है, जो सौर वायु (सोलर विंड) से बनी है। जबकि धूल वाली पूंछ घुमावदार है। इसी पूंछ के कारण इस धूमकेतु की कक्षा का पता चल पाता है। इसके आकर्षण का मुख्य कारण हरा रंग है।
12 जनवरी को यह धूमकेतु सूर्य के करीब पहुंचेगा
ज्विक्की ट्रैंजिएंट फैकल्टी ने इसे इसी वर्ष मार्च में खोजा था। तभी से वैज्ञानिकों की इस पर नजर बनी है। 12 जनवरी को यह धूमकेतु सूर्य के करीब पहुंचेगा। तब सूर्य से इसकी दूरी 1.11 एयू रह जाएगी। इसके बाद वह पृथ्वी के करीब आने लगेगा।
एक फरवरी को इसकी दूरी पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक 0.28 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट एयू रह जाएगी। इस धूमकेतु का सर्वाधिक आकर्षण पांच व छह फरवरी की रात रहेगा। तब इसे नग्न आंखों से देखा जा सकेगा।
धूमकेतुओं से आया ग्रहों पर जल
डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार हमारे सौर मंडल में धूमकेतुओं की महत्ता को कम करके नहीं आंका जा सकता है। इसकी वजह धूमकेतुओं में अकूत जल है, जो बर्फ के रूप में मौजूद रहता है और माना जाता है कि इन्हीं के कारण पृथ्वी समेत अन्य ग्रहों में पानी पहुंचा है।
धूमकेतु हमारे सौर मंडल के दूर के ठंडी जगहों के पिंड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं और वापस अपनी कक्षा में लौट जाते हैं। कभी-कभी सूर्य के इतने करीब होते हैं कि उससे टकराकर समाप्त हो जाते हैं।
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