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    डॉक्‍टर जा सकते हैं हड़ताल पर, सरकार से ठनी, जानिए क्‍या है कारण

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 19 Dec 2018 07:24 PM (IST)

    सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टर सरकार से नाराज हैं। इस समय दोनों की भौंहें तन गई हैं। सरकार है कि इन विषयों पर ध्यान देती नजर नहीं आ रही है।

    डॉक्‍टर जा सकते हैं हड़ताल पर, सरकार से ठनी, जानिए क्‍या है कारण

    हल्द्वानी, जेएनएन : सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टर सरकार से नाराज हैं। इस समय दोनों की भौंहें तन गई हैं। सरकार है कि इन विषयों पर ध्यान देती नजर नहीं आ रही है। जबकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से लेकर प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने अलग-अलग मांगों को लेकर 25 दिसंबर से आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दे दी है। अगर दोनों डॉक्टर बहिष्कार करते हैं तो प्रदेश में लाखों मरीज परेशान हो जाएंगे।

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    सीईसी पर हाई कोर्ट की सख्ती से चिंतित आइएमए
    राज्य के निजी अस्पतालों व क्लीनिकों से जुड़े डॉक्टरों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है। वे क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईसी) को लेकर हाई कोर्ट के आदेश से डरे हैं। एक्ट का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों को सील करने के आदेश हैं। ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार से कई बार सीईसी में संशोधन करने का अनुरोध कर लिया है। बकायदा उत्तराखंड हेल्थ केयर एक्ट को लागू करने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार इनकी बात को अनसुना करने में लगी है। इसलिए आइएमए ने अब खुलकर आंदोलन की रणनीति तय कर ली है। प्रदेश स्तर पर 25 दिसंबर से खुद ही अस्पतालों को बंद करने की भी चेतावनी दे दी है।

    सीईसी में पंजीकरण की प्रक्रिया बेहद धीमी

    उत्तराखंड सरकार ने 2015 में सीईसी लागू तो कर दिया, लेकिन इसे जमीन पर नहीं उतार सकी। बार-बार कागजी आदेश हुए,  लेकिन आइएमए के विरोध के चलते हवा-हवाई ही रहा। जिले में ही अब तक केवल 75 अस्पताल भी पंजीकृत नहीं हुए हैं। जबकि इनकी संख्या 200 से अधिक है।

    सरकार नहीं मानती है तो अस्पताल बंद किया जाएगा
    डॉ. एमसी तिवारी, अध्यक्ष, आइएमए ने बताया कि सीईसी विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य के लिए अव्यावहारिक है। इसे लागू होने से निजी अस्पताल ही नहीं, बल्कि सरकारी अस्पताल भी बंद हो जाएंगे। इसके मानक बेहद कठिन हैं। संशोधित एक्ट को लागू करने की मांग की गई है। सरकार नहीं मानती है तो खुद ही अस्पताल बंद करने का निर्णय लिया जाएगा।

    यूपी की डिग्री को मान्यता न मिलने से संकट में पीएमएस
    प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ भी सरकार से अपनी कई मांगों को लेकर अनुरोध कर चुका है। इनकी मांगों की भी अनदेखी कर दी जा रही है। संघ ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश से पीजी की डिग्री हासिल करने वाले 133 डॉक्टरों की डिग्री को मान्यता दिलाने की मांग उठाई है। इसके लिए डॉक्टरों ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर काला फीता बांधकर विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि एक सप्ताह तक ऐसे ही विरोध जताया जाएगा। इसके बाद भी सरकार नहीं मानती है तो 25 दिसंबर के बाद आंदोलन तेज करने को मजबूर होना पड़ेगा।

    पूरा एनपीए न मिलने से भी आक्रोश
    सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को अभी तक सातवें वेतन आयोग के आधार पर नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) नहीं मिल रहा है। संघ की मांग है कि उन्हें जल्द ही सातवें वेतन आयोग के आधार पर एनपीए का भुगतान किया जाए। उनकी अन्य मांगें भी मानी जाएं।

    प्रदेश में प्रैक्टिस के लिए एमसीआइ में पंजीकरण जरूरी
    डॉ. बिपिन पंत, पूर्व उपाध्यक्ष, पीएमएस ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पीजी की डिग्री के लिए सरकार ने ही भेजा, लेकिन जो डिग्री मिली वह एमसीआइ से मान्य नहीं है। प्रदेश में प्रैक्टिस के लिए एमसीआइ में पंजीकरण जरूरी है, लेकिन पंजीकरण नहंी हो रहा है। सरकार से मांग की है, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर विरोध जताने को विवश हैं।

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