neeb karori baba : एप्पल, फेसबुक के मालिक रहे बाबा नीब करौरी के अनुयायी, जानिए उनके बारे में 11 अहम बातें
बाबा नीब करौरी 20वीं सदी के आध्यात्मिक संतों में शामिल हैं। वह कई चमत्कारिक सिद्धियों से संपन्न थे। उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार भी बताते हैं। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Baba Neeb Karauri death Anniversary 2022 : 11 सितंबर को बाबा नीब करौरी का निर्वाण दिवस है। वह 20वीं सदी के महान आध्यात्मिक संतों में गिने जाते हैं। उनके भक्त और अनुयायी आज भी देश-विदेश में हैं, जिनमें फेसबुक के संंस्थापक मार्क जुकरबर्ग, एपल के सीईओ रहे स्टीव जॉब्स से लेकर हॉलीवुड की एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स तक शामिल हैं।
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बाबा नीब करौरी हनुमानजी के भक्त थे। कई श्रद्धालु उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। उन्होंने नैनीताल जिले में भवाली से कुछ दूर आगे कैंची में अपना आश्रम बनाया था, जिसे लोग आज कैंची धाम के नाम से जानते हैं। यहां आज भी भारी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालुओं का मजमा जुटता है। आइए रूबरू होते हैं बाबा नीब करौरी के जीवन की 11 ऐसी बाताें से, जिसे कम ही लोग जानते हैं।
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1. बाबा नीब करौरी का जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में वर्ष 1900 में हुआ था। 1961 में वे पहली बार नैनीताल के भवाली से करीब 7 किलोमीटर दूर कैंची पहुंचे, जहां 15 जून, 1964 को उन्होंने अपना आश्रम बनावाया। इसमें उनके मित्र पूर्णानंद ने सहयोग किया था। यह आश्रम आज देश ही नहीं, विदेशों में भी बाबा के अनुयायियाें की आस्था का केंद्र है। इसी आश्रम में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के संस्थापक स्टीव जाॅब्स आए थे। कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करके उनका जीवन बदल गया।
2. नीब करौरी बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था और 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। वह हनुमान जी की उपासना किया करते थे। उन्हें वह अपना गुरु भी मानते थे। उनके भक्त बताते हैं कि अपने जीवनकाल में बाबा ने विभिन्न जगहों पर करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए। कहा ये भी जाता है कि वह आडंबरों से दूर रहते थे। इसीलिए वह अपना पैर भी छूने नहीं देते थे। ऐसा करने वालों से वे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।
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3. घर छोड़ने के बाद बाबा साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे। उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे। बाबा ने गुजरात के ववानिया मोरबी नामक जगह पर तपस्या कर कई सिद्धियां हासिल की। यहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से लोगों ने पुकारना शुरू कर दिया था।
4. बाबा के चमत्कारों को लेकर एक जनश्रुति है कि एक बार बाबा ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। बाबा के पास टिकट नहीं था। जब टिकट चेकर ने उनसे टिकट मांगा और बाबा उसे टिकट नहीं दे सके तो टिकट चेकर ने बाबा को अगले स्टेशन 'नीब करौरी' में ट्रेन से उतार दिया था। इस पर बाबा वहीं बैठ गए।
इसके बाद जब ट्रेन को स्टेशन से रवाना करने के लिए स्टेशन मास्टर ने हरी झंडी दिखाई तो ट्रेन आगे न बढ़ सकी। इस पर कुछ लोगों ने बाबा काे पहचान लिया और उन्होंने टिकट चेकर को को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर बैठाने को कहा। टिकट चेकर ने ने बाबा से माफी मांगी के बाद और उन्हें ट्रेन में बैठाया। इतने में ही ट्रेन चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीब करौरी पड़ गया।

5. इसके बाद बाबा ने कई चमत्कार दिखाए। ये घटना ये भी कि कैंची धाम में हर वर्ष मंदिर के स्थापना दिवस पर मेला लगता है। जिसमें भंडारा भी होता है। यहीं पर उनके भक्तों ने पहली बार बाबा की सिद्धियों को देखा था। बताते हैं कि भंडारे के दौरान पूड़ी तलने के लिए घी कम पड़ गई थी। तब बाबा के आदेश पर मंदिर के बगल में ही बह रही उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के पानी से पूड़ी तली गई थी।
6. बाबा की चमत्कारिक घटनाआें में इसका भी जिक्र है कि बाबा ने एक बार कड़ी धूप में अपने एक भक्त के लिए बादल की छतरी बनाकर उसे मंजिल तक पहुंचाया था। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने अपनी पुस्तक 'मिरेकल आफ लव' में बाबा के इन चमत्कारों काे विस्तार से लिखा है। यह किताब बाबा के जीवन पर ही अाधारित है। इसी किताब में रिचर्ड अल्बर्ट ने 'बुलेटप्रूफ कंबल' के नाम से बाबा की एक और घटना का जिक्र किया है। रिचर्ड ने लिखा है कि बाबा हमेशा कंबल ही ओढ़ा करते थे।

7. बाबा नीब करौरी के दो पुत्र और एक पुत्री भी हैं। बड़े बेटे अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते थे। जबकि छोटे बेटे धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर थे। हाल ही में उनका निधन हुआ था।
8. बाबा ने एक भारतीय लडक़ी से चार बार पूछा – ‘‘तुम्हें आनंद पसंद है या दु:ख?’’ हर बार लडक़ी ने जवाब दिया – ‘‘मैंने कभी आनंद महसूस ही नहीं किया, महाराजजी, बस दु:ख ही महसूस किया है।’’ आखिर में महाराजजी ने बोला – ‘‘मुझे दु:ख पसंद है। यह मुझे भगवान के पास ले जाता है।’’
9. बाबा के अनन्य अनुयायियों में एक नाम सरदार मान सिंह नागपाल का भी है। वह बाबा के सारथी कहे जाते थे। राजेंद्र नगर गली नंबर चार हल्द्वानी निवासी सरदार मान सिंह टैक्सी चालक थे। वर्ष 1969 की बात है, जब वह हल्द्वानी से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी चलाते थे। एक बार वह अल्मोड़ा से सवारियां लेकर हल्द्वानी लौट रहे थे। देखा कि कैंची के समीप लोग बाबा नीम करौली के चरण छू रहे। सरदार मान सिंह बाबा के व्यक्तित्व से इतने प्रभावित हुए कि अपनी सवारियाें को दूसरे वाहन से भेजकर वह बाबा के पास आकर बैठ गए। बाबा के पूछने पर बताया कि वह टैक्सी चालक है। इसके बाद बाबा मान सिंह की ही टैक्सी से वृंदावन तक गए। इस घटना के बाद बाबा अक्सर मान सिंह की कार में ही कहीं भी जाने-जाने लगे थे।
10. 9 सितंबर 1973 को बाबा कैंची धाम से वृंदावन के लिए रवाना हुए। यह बाबा की अंतिम यात्रा थी। 10 सितंबर को वह वृंदावन पहुंचे और 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में ही उन्होंने अपने शरीर का त्याग कर दिया था। यहां भी बाबा ने एक आश्रम बनवाया था। जहां आज भी बाबा के भक्त पहुंचते हैं।
11. पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार साल 2015 में अमेरिका की यात्रा की थी। इस दौरान उनकी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से मुलाकात भी हुई थी। तब मार्क जुकरबर्ग ने पीएम मोदी से भी बाबा नीब करौरी का जिक्र किया था। मार्क ने बताया था कि इस मंदिर में जाने के लिए उन्हें एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने ही कहा था।

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